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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आये कि उस स्थान को ( पीछा) ढूँढने में पथ दर्शक का काम देवें । फिर उन्होंने उस (गड़े) को खुदवाया ॥" "इस (पुष्कर) को मण्डोर के अन्तिम पड़िहार (राजा) ने खुदवाया था ॥" (टाड राजस्थान, भाग १, अध्याय २९ ।। "और मण्डोर के ये अन्तिम पडिहार (राजा) नाहरराव थे ॥" (टाड राजस्थान, भाग १, अध्याय २७) रिपोर्ट मर्दुम शुमारी राज्य मारवाड़ का मत"पड़िहारों का राज्य पहिले मण्डोर में था । नाहरराव पड़िहार मारवाड़ में बहुत मशहूर हुआ है उसने पुष्करजी का ताल खुदाया था और सूर खाना छोड़ा था सो अब तक पड़िहार सूर नहीं खाते हैं।" (देखो रिपोर्ट मर्दुम शुमारी राज्य मार वाड़ ई. सन् १८९१ के भाग ३ का पृष्ठ १५ वां)। अजमेर को तवारीख़ का मत"ब्रह्माजी के यज्ञ के पीछे समय के हेर फेर से यह स्थान किसी समय उजाड़ हो गया था। अनुमान ४००० वर्ष हुये कि इस मुल्क में जैन धर्म बहुत फैल गया था। किसी राजा पद्मसेन नामी ने यहां एक बड़ा भारीनगर बसा के अपने नाम पर पद्मावती नगरी उस का नाम रखा । इस नगरी की वस्ती एक लाख घरों की थी । कहते हैं कि इस नगर में प्रायः धनवान् मनुष्य वस्ते थे, और जब कोई मनुष्य यहां पर बसने को आता था तो प्रत्येक घर से एक २ रुपये के हिसाब से एकठे कर के एक लाख रुपये उस को दे के वसा लेते थे । राजा जैनी था और तमाम प्रजा भी जैनी थी । इस नगर को उस समय में जैनी For Private And Personal Use Only
SR No.020587
Book TitlePushkarane Bbramhano Ki Prachinta Vishayak Tad Rajasthan ki Bhul
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMithalal Vyas
PublisherMithalal Vyas
Publication Year1910
Total Pages187
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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