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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इस जाति में भीख माँगनेकी प्रथा बिलकुल नहीं है। इस बातको भी स्वीकार करके रिपोर्ट पर्दुम शुमारी राज्य मारवाड़ के तीसरे भागके पृष्ठ १६१ की पंक्ति २० में लिखा है कि पुष्करणे ब्राह्मणों में "भीख बहुत कम लोग माँगते हैं।" पुष्करणे ब्राह्मण अधिकांश तो नगरों ही में रहते हैं। उनकी तो जीविका पूर्वोक्त ही कारणों से है। परन्तु कितनेक लोग बाहर ग्रामों में भी रहते हैं। उनमें अधिकांश तो वहां पर रहनेवाले अ पने यजमानों की पुरोहिताई करते हैं, किन्तु कोई २ खेती भी करते हैं। यही वात रिपोर्ट मर्दुम शुमारी राज्य मारवाड़ के भाग तीसरेके पृष्ठ १६१ की पंक्ति २० में लिखी है कि पुष्करणे ब्राह्मणों में से___ "जो लोग गाँवों में रहते हैं वे खेती भी करते हैं।" इस प्रकार से पुष्करणे ब्राह्मणों की जीविका बहुत कालसे चली आती है। परन्तु टाड साहबने तो अपनी अनभिज्ञतासे यहाँ तक लिख दिया कि ये व्यापार आदि कुछ भी नहीं करते किन्तु या तो खेती करते हैं या पशु पालते हैं। अतः उनके लेखानुसार तो इन की जीविका के मुख्य साधन ये ही होने चाहियें। किन्तु यह वात भी टार साहब की बिलकुल कपोल कल्पित है । क्योंकि इनकी जीविका के मुख्य साधन तो पूर्वोक्तही प्रकारसे हैं जिसके कई उदाहरण व टाड साहब ही के समय के प्रयक्ष प्रमाण ऊपर लिखे जा चुके हैं । हां कोई २ मेक लोग खेती भी करते हैं किन्तु उसका का ण यह हुआ है कि राजाओंकी दिइ हुई भूमि जिन पुष्करणों के पास है उसमें किसान न For Private And Personal Use Only
SR No.020587
Book TitlePushkarane Bbramhano Ki Prachinta Vishayak Tad Rajasthan ki Bhul
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMithalal Vyas
PublisherMithalal Vyas
Publication Year1910
Total Pages187
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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