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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुकान? सात दुकान है। फैक्ट्रियाँ है, ऑफिस है। कुटुम्बियों को लगा कि लड़का धनवान है। बेटी देने के लिए अच्छा ही नहीं बहुत अच्छा है। चाचाजी ने पूछा आपकी उम्र पच्चीस, छब्बीस की होगी? पच्चीस काहेकी? पच्चास की है... युवक के मन में यूं था कि सब में ज्यादा किया तो इसमें भी ज्यादा करो... फट से कह दिया पच्चास । बहनोई समझ गये कि साले ने गलती कर ली है, तुरन्त साले का पेर दबाया और कहा- इसने अपनी नहीं पिताजी की उम्र पूछी है..! समझ कर बताया है उम्र तो पच्चीस-छब्बीस वर्ष की ही है। हां ठीक है इतनी ही लगती है मामाजी ने कहा यूं प्रश्नों का दौर चल रहा था तभी युवक को खांसी आने लगी। तब चाचा ससुर ने पूछा क्या सर्दी-जुकाम हो गया है? ना टी. बी.हो गया है। फिर चाचा ससुर बोले टी.बी? अरे टी.बी. ही नहीं थर्ड स्टेज में पहुंच गया है। कहने की जरूरत नहीं की चाचा ससुर ने उसे पसन्द किया होगा..... कोई भी होता तो ऐसे युवक को पसन्द नहीं करता। बहनोई ने माथा ठोका लेकिन युवक/साला समझ नहीं पाया कि क्या हुआ? जहां ये प्रशंसा उपर चढ़ने के लिए रस्सी का काम करती है, वहीं अन्धेरे कुए में गिरने का कारण बन जाती है। शिखर पे पहुँचाने की जगह खाई में गिरा देती है। ___ इस आत्म प्रशंसा की जड़ बहुत गहरी है। कभी-कभी ऐसा भी देखने में आता है कि कुछ लोग ऐसी खूबी से बात करते हैं कि जिससे हमें लगता है कि स्वयं किसी दूसरे की प्रशंसा कर रहें है। लेकिन इसके पीछे खुद को ही महान दिखाने की कोशिश रहती है। देखिये न पिन्टू बडा गजब निकला। मेरी दुकान में नौकरी करने आया, तब सीधा-साधा और निर्धन था। मेरी दुकान में ट्रेनींग लेकर ऐसा तैयार और हुशियार बना कि आज करोडपति बन गया। कहिये यहाँ पिन्टू गजब है या कहने वाला शेठ। मेरी दुकान में ट्रेनींग लेने वाला हुशियार हुए बिना नहीं रहता स्वप्रशंसा इन शब्दों में नहीं गुंज रही है? यह तीर्थ क्षेत्र बहुत अच्छा है। मुझे यहाँ पूजा करने में बहुत मजा आता है। इसलिए मैं एकाध घण्टे की जगह दो घण्टे पूजा करता हूँ। यहाँ भी तीर्थ की तुलना में दो घण्टे पूजा करता हूँ यह बात अधिक महत्त्व रखती है। विकाश में 165 For Private And Personal Use Only
SR No.020580
Book TitlePriy Shikshaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherPadmasagarsuri Charitable Trust
Publication Year2006
Total Pages231
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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