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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir में तो वह स्वयं को ही बड़ा और महान समझता है। जीव को जैसे खाना सिखाना नहीं पड़ता वैसे स्वप्रशंसा कैसे करनी यह भी सिखाना नहीं पड़ता। छोटे बच्चे को अंक - अक्षर लिखना सिखना पडता है, लेकिन मुझे अंक लिखना आ गया। यह गर्व से कहना सिखना नहीं पड़ता। एक सेनापति ने शहर जीत लेने के बाद अपने सैनिकों से कहा- हमें इस शहर को जीतने के लिए फिर से युद्ध करना होगा, फिर से हमला करना पड़ेगा। सैनिकों ने पूछा क्यों सर? तब सैनापति ने कहा हम युद्ध में शहर जीत रहे हैं। उस दृश्य का फोटु लेना रह गया है। अतः फोटु खिंचने के लिए फिर से युद्ध लडना पड़ेगा। अगर फोटु नहीं लेंगे या फोटु नहीं होंगे तो लोगों को पता कैसे चलेगा कि हमने कितनी मुश्किल और पराक्रम से युद्ध जीता है। सेनापति लोगों को बताने और प्रशंसा पाने के लिए फिर युद्ध करने के लिए तैयार है। कई समारोहों को देखकर ऐसा लगता है कि यह समारोह नहीं अपितु फोटो स्टुडियो है। उपहार देने का कार्य भी खुशी व्यक्त करने के लिए नहीं बल्कि उपहार देते समय का फोटो खिंचवाने के लिए और पोझ ठीक आये इसलिए होता है। तभी तो दो पाँच सैकेंड में दे सकते है उस उपहार को दो-दो मिनट तक हाथ में लेकर खड़े रहते है। उपहार लेने देने के लिए एक तरफ हाथ बढ़ाया जाता है और फोटु में चेहरा ठीक आये इसलिए उस तरफ भी देखते हैं। फिर लोगों को फोटु दिखायेंगे कि मैने ऐसे लोगों को ऐसे उपहार भेंट किये है। मैं कोई छोटा-मोटा साधारण आदमी नहीं हूँ। एक चित्रकार का किस्सा आता है। सब लोग चित्र की प्रशंसा कर रहे थे। लेकिन पिताजी नहीं कर रहे थे। इससे चित्रकार को गुस्सा आ गया। अगर मेरे उत्कृष्ट चित्र की भी पिताजी प्रशंसा नहीं करते हैं, तो शत्रुतुल्य बाप को मार ही डालना चाहिए। ऐसा सोचकर वह बाप को मारने आया। तभी उसने दरवाजे के पीछे खड़े रहकर पिताजी की प्रशंसा भरी बातें सुनी जिससे क्रोध शांत हुआ और उसने क्षमा मांगी। प्रशंसा के दो शब्द नहीं बोलने मात्र से पिता को भी शत्रु के समान कौन दिखाता हैं? आत्म प्रशंसा की इच्छा ही न। 63 - For Private And Personal Use Only
SR No.020580
Book TitlePriy Shikshaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherPadmasagarsuri Charitable Trust
Publication Year2006
Total Pages231
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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