SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 52
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भी यही किया। तुम्हारी गालियों की मुझे जरूरत नहीं थी इसलिए मैंने नहीं ली, तो गालियाँ भी तुम्हारे पास ही रही। तब फिर मुझे गुस्सा करने की क्या आवश्यकता है? वह नतमस्तक हो गया। आलापैर्दुर्जनस्य न द्वेष्यम् – का यही अर्थ है कि दुर्जन के बकवास से क्रोध नहीं करना। एक बार कितनेक दरबारियों ने अकबर से कहा महाराज आजकल बिरबल को ज्योतिष का रंग चढ़ा है। वो सबको कहते फिरते है कि मंत्रों के द्वारा/जरिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ। दूसरे दरबारी ने महाराज को कहा, महाराज उनके इस शोख के कारण आजकल दरबार के काम में रस भी नहीं लेते। अकबर बोले, कोई बात नहीं। आज ही उनकी परीक्षा हो जाय। राजा ने हाथ की अंगूठी निकालकर दरबारी को देते हुए कहा कि इसे छिपा दो। बिरबल आया तब राजा अकबर ने उतरा हुआ चेहरा बना कर कहा कि, बिरबल मेरी अंगूठी कहीं खो गई है। सुना है कि तुम्हें ज्योतिष विद्या का अच्छा ज्ञान है। अपने ज्ञान से बताओ कि मेरी अंगूठी कहाँ है? बिरबल ने तिर्की नजर से दरबारियों को देखा। उनकी समझ में आ गया कि इन लोगों ने ही महाराज के कान भरे है। थोड़ी देर सोचकर बिरबल ने कागज में सीधी और तिर्की लाईन खींची। फिर अकबर से कहा महाराज अब इसके उपर हाथ रखिये। अंगूठी जहाँ भी होगी वहाँ से आपकी अंगूली में आ जाएगी। राजा ने यंत्र पर हाथ रख दिया। तब बिरबल हाथ में चावल के दाने लेकर दरबारियों की तरफ फैंकने लगा। कहीं सचमुच ही अंगूठी महाराज के हाथ में नहीं पहूँच जाय यूं सोचकर वह दरबारी अपनी जेब पर जोर से हाथ दबाने लगा। बिरबल ने तिरछी नजर से देख लिया। बोला, महाराज! अंगूठी तो मिल गई है परन्तु किसी दरबारी ने चूस्त रीती से पकड़ रखी है। अकबर बादशाह बिरबल का संकेत समझ गए और खिलखिलाकर हँसने लगे। उन्होंने बिरबल को अंगूठी भेंट स्वरूप दे दी। कान भरने वाले उन दरबारियों के चेहरे उतर गये। 46 For Private And Personal Use Only
SR No.020580
Book TitlePriy Shikshaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherPadmasagarsuri Charitable Trust
Publication Year2006
Total Pages231
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy