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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चाहिए यूं सोचकर पत्थर का सिरहाना निकाल दिया। और हाथ का सिरहाना बनाकर सो गये। मगर उन स्त्रियों को भला बुरा नहीं कहा अथवा उद्वेलित भी नहीं हुए। जब पानी भरकर महिलाएँ वापिस लौटने लगी, तब फिर भर्तृहरि को देखा तो कहने लगी कि वाह! राज्य घर परिवार छोड़कर संन्यासी बन गये परन्तु अभी तक गुस्सा तो गया ही नहीं। देखो तो अभी भी अन्दर कितना क्रोध भरा है। हमने तो जरा सा यूं कहा कि सिरहाना नहीं छुटा तो इन्होंने तो वो सिरहाना ही निकाल दिया। कहने का मतलब कुल मिलाकर इतना ही है कि दुनिया तो दोनों तरफ बोलती है। अच्छा करो तब भी बोलती है और बुरा करो तब भी चूकती नहीं हैं। यह दुनिया का स्वभाव है इसको कोई नहीं पहुँच सकता, क्योंकि यह तो दोनों ही तरफ मजा लेती है। लोग चाहे कितना ही बोलते रहे, उन्हें बोलने दिजिये। केवलज्ञानी की दृष्टि से यदि हम सच्चे मार्ग पर है तो डरने की कोई वजह नहीं है। किसी के बकवास से हकिकत में कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला है। दुनिया तो यूं भी कहेगी और यूं भी कहेगी। दुनिया कहेगी, ये दुनिया बगैर कहे नहीं रहेगी। बाप-बेटे थे। वे दोनों एक टटू को लेकर उसे बेचने के लिए मेले में चल पड़े। टटू को साथ लिए पैदल चल रहे थे। थोड़ा ही मार्ग पार करने के बाद उन दोनों को लोगों की भीड़ नजर आई। उस भीड़ ने टटू को लेकर पैदल जाते देखा तो बोलने लगे। अरे! ये दोनों बड़े पागल और मूर्ख है, सवारी का साधन साथ में है और पैदल चल रहे है। इनकी मूर्खता की कोई सीमा नहीं है। बाप ने कहा बेटा सुना। ये लोग क्या कह रहे हैं। बेटा बोला हाँ पिताजी । बाप बोला तुम टट्टू पर बैठ जाओ बेटे। बेटा टट्टू पर बैठा और बाप पैदल चलने लगा। कुछ दूर ऐसे चलने के बाद पुनः उन्हें अन्य लोग मिले और उन्होंने कहा- देखो तो कैसा नालायक बेटा है, खुद तो टटू पर मजे से बैठा है और अपने बूढ़े दुबले-पतले बेचारे बाप को पैदल चला रहा हैं। खुद जवान पट्ठा होकर टटू पर सवार है। आज कल के जमाने में लड़कों में माँ बाप के प्रति जरा 43 For Private And Personal Use Only
SR No.020580
Book TitlePriy Shikshaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherPadmasagarsuri Charitable Trust
Publication Year2006
Total Pages231
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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