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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir से कैसा राग! ये गाड़ी आगे बढ़ेगी ही स्टेशन छूटेगा ही। आदमी को जिन्दगी में कदम-कदम पर ठोकरें खाने को मिलती है। उसे मृत्यु का दर्शन भी होता है, लेकिन-आदमी न जगता है, न संभलता है। दुनिया का यह सबसे बड़ा सत्य है कि ठोकरें खाने के बाद भी आदमी को सच्ची समझ नहीं आती। ठोकरें लगना अनुभव है और जो व्यक्ति ऐसा अनुभव पाकर भी नहीं संभलता, उससे बडा बुद्धू इस दुनिया में कोई और नहीं है। __ महाभारत की एक प्रसिद्ध घटना है। पाण्डव अपनी माँ कुन्ती के साथ वनवास भोग रहे थे। रास्ते में चलते-चलते एक दिन वे काफी थक चूके थे कि कुन्ती ने कहा कि बड़े जोरों से प्यास लगी है। धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने सबसे छोटे भाई नकुल से कहा कि समीप ही कोई तालाब हो तो जरा पानी लेकर आओ। भीम ने एक पेड़ पर बहुत ऊँचें चढ़कर बताया कि यहाँ से थोड़ी ही दूर एक तालाब है। नकुल ने पत्तों का एक पात्र बनाया और चल दिया पानी लाने । उसे गए जब काफी देर हो गई वह आया नही, तो धर्मराज ने सहदेव को भेज दिया। वह भी नहीं आया। एक-एक कर अर्जुन और भीम भी जब वापस न लौटे तो धर्मराज खुद तालाब की ओर गये। तालाब के निकट पहुँच कर उन्होंने देखा कि एक पेड़ के करीब तालाब की पाल पर चारों भाई मृत अवस्था में पड़े हैं। धर्मराज बहुत दुःखी हुए, विलाप और रूदन भी किया। फिर माँ के लिए तालाब से ज्यों ही पात्र में पानी भरा, एक आवाज आई- ठहरो! पानी पीने से पहले मेरे एक सवाल का जवाब दो, वरना तुम्हारी हालत भी तुम्हारे भाईयों जैसी हो जाएगी। धर्मराज ने कहा- आप कौन हैं और आपका सवाल क्या है? पानी से आवाज आई- मैं यहाँ का एक यक्ष हूँ और यहाँ जो भी पानी पीने आता है, मेरे सवालों का जवाब दिए बगैर वह यहाँ इस तालाब का पानी नहीं पी सकता। यक्ष ने पूछा- तुम ही बताओं! दुनिया में सब से बड़ा सत्य क्या है? धर्मराज ने जवाब देने के बजाय यक्ष से ही पूछ लिया। पहले तुम ही बताओं मेरे इन चारों भाईयों ने तुम्हारे इस सवाल का जवाब क्या दिया था। यक्ष ने कहा कि नकुल ने सबसे बड़ा सत्य धर्म, सहदेव ने ईश्वर, अर्जुन ने ईमान और भीम 134 For Private And Personal Use Only
SR No.020580
Book TitlePriy Shikshaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherPadmasagarsuri Charitable Trust
Publication Year2006
Total Pages231
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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