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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कहाँ क्या मिलेगा? क.सं. पेज नं. 22 27 31 40 47 54 60 83 91 101 विषय लोक में किसी की भी निंदा नहीं करनी | पापियों की भी भवस्थिति का विचार करना गुणीजनों का बहुमान करना 4. | थोडे/छोटे से गुण पर भी प्रेम रखना बालक से भी हितकर चीज स्वीकारनी दुर्जन के बकवास से क्रोधित न होना अन्य की आशा नहीं रखनी संग मात्र बंधन जानना (समजना) स्वप्रशंसा से अहंकार न करना लोगों की निंदा से क्रोधित नहीं होना धर्मगुरु की सेवा करनी तत्त्व जिज्ञासा रखनी चाहिए पवित्रता रखनी स्थिरता रखनी दम्भी मत बनो | वैराग्यभाव धारण करना आत्म नियंत्रण करना संसार के दोषों का दर्शन करना देह आदि की विरूपता सोचनी भगवान में भक्तिं धारण करनी चाहिए सदा एकान्त स्थान का सेवन करना सम्यक्त्व में स्थिर रहना 23.| प्रमादरूपी शत्रु का भरोसा मत करो आत्मज्ञान की निष्ठा का ध्येय रखना सभी जगह आगम को आगे रखना कुविकल्पों का त्याग करना वृद्ध पुरुषों का अनुसरण करना आत्म तत्त्व का साक्षात्कार करना | ज्ञानानंद से मस्त होकर रहना 109 117 125 133 141 48 156 164 173 181 189 198 206 214 29. 222 For Private And Personal Use Only
SR No.020580
Book TitlePriy Shikshaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherPadmasagarsuri Charitable Trust
Publication Year2006
Total Pages231
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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