________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त्याविमानुद्वैपदं वैश्वदेवं तृचं भौवनआप्त्योवासाधनौवनोवा सू.अ. 67 ॥५॥अग्निश्चसप्तलिंगोक्तानि // प्रियोदेवानांलौगाक्षिरनुष्टुसमन / वसानांबृहस्पतेगृत्समदोब्राह्मी त्रिष्टुभमिंदगोमन्नैयौगायन्यौर | म्याक्षितावानंप्रादुराक्षिर्वैश्वानरीयां वैश्वानरस्य त्रिष्टुभंकुत्सोग्नि / क्रषिराग्नेयीं गायत्रीं वसिष्ठारद्वाजीमहाँ 2 ऽइंद्रोमाहेंद्रीवसिष्ठस्तं / वरेंद्रीपथ्याबृहतीनोधागोतमोयद्वाहिष्टवसुयवआग्नेयीमनुष्टुभमे ||67 हिभरद्वाजोगायत्रीमृतवस्तेबृहतीत्युपह्वरेवत्सो गायत्रीं // ६॥उ / *************OKINDNCit***** For Private and Personal Use Only