SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 332
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुदर्शिनी टीका अ.३ सू० ६ सङ्ग्रामवर्णनम् 'भाता' इति प्रसिद्धाः कुवेश्यः शखविशेषाः 'पीढा' पोठानि-यन्त्ररूपास्त्रविशेषाश्च, इत्येतैशस्त्रविशेरेः 'कलिए' कलिते युक्ते संग्रामे अतिपतन्तीत्यन्वयः।०५। पुनरपि संग्रामं वर्णयति- इली' इत्यादि । मूलम्-इलीपहरणमिलिमिलितं खिप्पंतविज्जुजलविरचियसमप्पहनहतलफुडपहरणे, महारणसंखभेरी वरतूरपउरपडुपडहाहयनिनायगंभीरणंदियपकवुभिय विउलघोसे, हयगयरहजोहतुरियपसरियरयुद्धयतमंधयारबहुले, कायरनरनयणहिययवाउल करे, विलुलियउक्कडवरमउडकिरीडकुंडलोडुदामाडोविए, पडगपडाग उच्छियधयवेजयंतीचामरचलंतछत्तंधयारगंभीरे, हयहेसियहत्थि गुलगुलाइयरहघणघणाइयपाइकहरहराइयअप्फोडियसोहनाय छिलियविघुटुक्किटकंठकयसदभीमगजिए सयराहहसंतरुसंतकलकलवे, आसूणिय वयणरुदभीमदंसणाधरोहगाढदढसप्पहारकरणुजयकरे, अमरिसवसतिव्वरत्तनिदारितच्छे, वेरदिहि. कुद्धचेट्टियतिवलीकुडिलभिउडीकयललाडे वह परिणयनरसहस्तविक्कमवियंभियबले॥ सू०६ ॥ टीका-' इलीपहरणमिलिमिलितखियंतविज्जुज्जलविरइयसमप्पड़ नहतले ' इलीपहरणमिलिमिलिन्तक्षिप्यमाणविशुदुज्यलविरचितसमप्रभनमस्तले तूणीरों से-भाताओं से, (कुवेणी) कुवेणियों से-एक प्रकार के शस्त्रों से, (पीठ ) पीठों से-यंत्ररूप अस्त्रविशेषों से ( आकलिए ) युक्त रहते हैं। ऐसे उस भयंकर संग्राम में कितनेक राजा लोक परधन को हरण करने के लिये ही उतरते हैं । सू०५॥ साथी) " कुवेणी" माथी (मे २न शत्रो) “पोट" पाउtथी (-यत्र३५ १२० विशेषाथी ) " आकलिर” युत २ छ. १ ते लय४२ સંગ્રામમાં કેટલાક રાજાએ પરધનનું હરણ કરવાને માટેજ ઉતરે છે. સૂપ For Private And Personal Use Only
SR No.020574
Book TitlePrashnavyakaran Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalalji Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1002
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy