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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir . . हार गंध बंधुरेख दिदु' अट्ट' अक्षरेण । बारहाइ मत्त जाण मल्लिा सुछंद' माण ७०॥ जहा, जेण जिणु खत्ति बंस रिट्टि मुट्टि केसि कस। बाण पाणि कट्टिएउ सोइ" तुह्म सुभ्भर देउ। ७१ ॥ मल्लिका। णिकानामकं वृत्तं लक्षयति, बह इति । कइ गुरूणिरंतरासघुगुरुनिरंतराणि अठकखरा-अष्टावक्षराणि यत्र प्रतिवरणं पतंतौति भेषः सा पमाणित्रा-प्रमाणिका तत्प्रमाणिकानामक वृत्तमित्यर्थः । वह गुरु पिरंतरेत्यनेन प्रथममेको लघुस्तदनन्तरं गुरुः पुनलघुः पुनर्गुरुरेवंप्रकारेणाष्टावचराणि कर्तव्यानौति सूच्यते । प्रसंगानाराचनामकं षोड़शाचरचरणं वृत्तं लक्षयति, पमाणैति । पमाणि - प्रमाणौ प्रमाणिकेत्यर्थः, नामैकदेशादपि सत्येत्यादौ नामप्रतीतेः, दूण - विराणा लघुगुरुनिरंतरषोडमाक्षरेति यावत् किनिए-कियते यदेति श्रेषः, मो- सः पराउ- नाराचः भणिब्जए - भष्यते ॥ ३९ । प्रमाणिकामुदाहरति, पिसंभेति । णिनिरंभशंभखंडिनौ गिरोस[श गहमंडिनो .. महादेवटाई भूषयिचौत्यर्थः। पचंड मुंड खंडिया -प्रचण्डमुण्डखंडिहौ नौ] . ..-०१। १ बंध (A). . गंधर (A). १ दिE (B), जुह (C). ४ पार (B & C). . मक्षिका (E & F). (सचन्द (C), सूखंद (E), . माण (E). ८ जिणु (A), निधि (B), जिस (C), जिण (E). सि (A), रिद्धि (B & C). १. मुा (A), मुष्टि (B & C). ११ सोष (E & F). ११ तुम्म (C), तुम्ह (F). १९ सुल्म (B & C), सक्स (E), मुक्य (F). For Private and Personal Use Only
SR No.020566
Book TitlePrakrit Paingalam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandramohan Ghosh
PublisherCalcutta
Publication Year1902
Total Pages727
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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