SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 242
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मात्रारत्तम् । २९६ जहा, जे गंजिअ गोलाहिबई राउ उदंड प्रोड्ड जसु भन' पलाउ। गुरुबिक्कम बिक्कम जिणि जुन्झर ताकण परक्कम' कोइ' बुज्झ ॥ १२६९२ ॥ पज्झलिया। (A & F'). चउ इति ॥ चतुर्माचाः कार्या गणश्चत्वारश्चत्वारः स्थापयांते पयोधरं पादे पादे ॥ चतुःषष्टिमात्राभिः पर्यटिका भवति इंदुसमाचत्वारः पादाः पर्यटिकाचं दसि ॥ अंत इति ॥ चतुर्थी गणोजगणरूपः कार्य इत्यर्थः ॥ २६ ॥ (G). १२६ । उदाहरति ॥ यो गञ्चितगौडाधिपतिराजः उद्दण्डबोडो यस्य भयेन पलायते । गुरुविक्रमं विक्रमं जिला युध्यते तत् कर्मपराक्रम क इह बुध्यते ॥ श्रोड:- श्रोड्देशोयो राजा, विक्रम राजानं युद्धे न त्यजतौत्यर्थः । (C)... १२६ । अथ [पज्झटिकामुदाहरति जे इति । येन पराक्रमेण गोलाहिबद - गौडाधिपतिः राउ - राजा गंजिश्र- गंजितः, हत इति यावत्, जसु भत्र- यस्य पराक्रमस्य भयेन उदंड १२६ । १ गउलाहिव (A), गोलाहिवद (B), गोलरहिवद् (C), गोउवद (F). २ बाउ (D). ३ उड्डउ (D). ४ दंड (A), सोन (C), घोड (E), मोड (F). ५ इस (D & F).. जस (A), भर (B & C). . पसाउ (A), पलाद (B), पराउ (D & F). ८ जिम्मु (A), जोणिञ्च (C), जिपिच (D). जन (F). १० परिकम (B). ११ दह (C). १२ २३ (A), २७ ('). १३ पझटिका (B & C), इति पबलिया (F). For Private and Personal Use Only
SR No.020566
Book TitlePrakrit Paingalam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandramohan Ghosh
PublisherCalcutta
Publication Year1902
Total Pages727
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy