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________________ ចុច धोयण२०बहुल ससिए । नस्सेश्मं अरसिबविणा२२ वीगयनेद अधीकार पांच चार चार एबए नक्षवीगय दु[॥श्न॥ चार बेबे प्रकारे। धादी नुत्तरनेदे वीगय एकवीस॥|| पणरचनश्चन३ चन्दुरादु बनरक दुघा विगग त्रण बेत्रण चार नेदे अनक्ष विहु। चारनां मधु आदे [वीसं॥ वीगय। वीगय नेद नत्तर बार ॥२॥ तिरदुतिश्चन विह चन् महु माई विगई बारशणा नक्षवीगय नाम [अनला। गोल पकवान ए आए नक्षवीग दुध घृत दही तेल। जाणवी ॥ खीरघयश्दहियतिनं। गुलएपक्कन्नहब नक विगई दुध दही घी वीगेनेद गायनु नेसनु पांच नेदे दुध हवे चार प्रकारे॥ नंटमी, बालीनु गामरीनु। | गोरमहिसीश्नहिअय४ पण दुछ अह चनरो ॥३॥ घृत तथा दही [एलगाणय। तेलना चार नेद तिलनु सरसव नटी वीना सेसनु। नु अलसीनु लाटनु॥ घय दहिया नहि विणा। तिलरसरिसवश्यसि लहति गोलना बे नेद ढीलो गोल पकवानना बे नेद तेलनु [लचन कठीण गोल ए बे। घृतनु तलेलुं ॥३१॥ | दव गुम पिंक गुमा हो। पक्कन्नं तिन्न घय तलि॥३॥ हवे नीवीआतां३०तेमां दुधनां आटो घाली रांधु तेध खटाइ घा पांच द्राखादीकथी रांधु ते? घ ली रांधेए वा बलीए दुध वीगय णा चोखाथी रांधु तेश् थोमो रहीत ॥ चोखाथी रांधु ते। पयसामी रखीरश्पेपा३ । वलेहि दुघहिएदुपविगई गया
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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