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________________ जीवसंपदार वीराधना संपदार प ए जेद त्रण पाडलनी संपदा || मिक्कमण संपदार। चुलिका जाणवी ॥३३॥ जीवविराहणपमिकमण।नेअक तिनि चुलाए।३३|| नमुथ्थुणंनी संपदा प्रते पद बेश्पदनी त्रणश्नी चार नी पांचएनी|| पांचएनी पांचएनी बेश्नी चारधनी। दुर तिश् चन३ पण पण पण दु चनन। त्रणश्पदनी नमुथ्थुणंनी संपदामां पदसंख्या॥ तिपया सकल संपयाश् पया॥ संपदा आदीपद नमुथ्थुणं था अनयदयाणंए धम्मदयाणं६ अ|| ईगराणं पुरिसुत्तमाणं लोगुत्त प्पमिहय जिणाएंज सव्वनुगए। मांग। ॥३०॥ नमु आईग पुरिसो लोग। अनय धम्म प्प जिण सव्वं संपदानांम स्तोतव्य संपदा विसेष हेतु३ नपयोग [॥३४॥ सामान्य हेतु संपदा। हेतु तदहेतु उपयोग संपदाए॥ थोअव्व संपया नह। इयर हेक वनग तक॥ विसेष हेतु नपयोग६ स्वरू हेतु संपदा नीज समतुल्य फलदाय प। क मोक्षसंपदाए ॥३५॥ सविसेसु वन्ग सरूव। हेक निय सम फलय मुके॥३॥ नमुथ्थुणंमां अक्षरादि संख्या नवएसंपदा ले पद तेतरीस३३ ले बसेंने सतांणुशएअक्षर । नमुथ्थुगंमां॥ दोसग नका वन्ना। नव संपय पय तित्तीस सकाए॥ चैतस्तव अरिहंतचेच्या तेंतालीस पद ले अक्षर बसेंने गणत्री एमां आठ संपदा । स ॥३६॥ ॥ चेश्य थय संपय। ति चत्त पय वन्न दुसय गुणतीसा३६ - -
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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