SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 6
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - ॥अथ प्रक्रणमाला॥ ॥अर्थ सूत्र सहीत॥ mine - - ॥ अथ जीववीचार सूत्र अर्थ ॥ त्रण नवनमां दीवा समान श्री वीरजिनने। . ___नमिने कहुंचं अजाणने जाणवाने अर्थे । नुवण पश्वं वीरं । नमिकण नणामि अबुह बोहवं॥ जीव स्वरूप कांइंक । जेम कह्युले पुर्वना आचार्योइं तीम ॥१॥ जीव सरूवं किंचिवि।जह नणिग्रं पुव्ब सूरिहं॥२॥ जीवे ते जीव मुक्तीना ने संसारी ए बे नेद । त्रस हालता चाल ता थावर थीर ए बे नेद संसारीना । जीवा मुत्ता संसारिणोय । तस थावराय संसारी॥ थावरना ५ जेद प्रथवी १ पाणीश् अग्नी वायरोध । वनस्पती ५ ए ___ पांच नेद थावरना जाणवा ॥२॥ पुढविर जलजलण३वाकधावणस्सईयथावरानेया।श |फटिक मणि रत्न परवाला । हिंगलोक हाताल मणसील पारो॥ फलिह मणि रयण विहुम । हिंगुलहरियाल मणसिल ||सोना आदि धातु खमी । रमची अरणेटो पाषाण पारे [रसिंदा॥ वो ते कुणो पाषाण॥३॥ कणगाइ धान सेढी । वन्नी अरणेय पलेवा ॥३॥
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy