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________________ ४७ जंबुनुं वीन एकलाखनुं तेने तद्गुणा ते थांकनुं वर्गमुल काढीइं तो करी तेने दसगुणा कर्ये आंक आवे। गोलक्षेत्रनी परीधी होय ॥ विरून वग्ग दहगुण। करणी वहस्स परिरन हो॥ पने ते जंबुद्वीप, वीखेन ला परीधीना आंकने तो तेनुं गणीत खनुंडे माटे चोथेनागे गणवं। पद वा क्षेत्रफल होय ॥७॥ विख्न पाय गुणिन। परिर तस्स गणियययं॥॥ पराधीनो आंक कहेडे त्रण हजार बसेंने सतावीस अधीक ॥ साख सोल। परिही तिलक सोलस। सहस्स दोयसय सत्तवीस हिया॥ कोस वा गान त्रण ने अठ्ठा धनुष एकसोने तथा तेरांगल थ वीस। ईयांगलने अधीक ३१६२२७यो. गा० १ २ध० १३॥ण्य. कोस तिगं अघवीसं। धणु सय तेरंगुल चहियं ॥७॥ हवे क्षेत्रफलनो क क नेनकोम ने उपनलाख सोने हजारे हे सातसें७०० कोमने। गुणे लाख थाय ॥ | सत्तेवयकोमिसया। नकाबप्पन्न सय सहस्साई॥ चोरांणुंएव वली हजार। मोढसो१५०वली समग्र साधीक॥॥ चकणग्यं च सहस्सा। सयंदिवढं च साहियं ॥५॥ एक गान पन्नरसें १ ५००। धनुष तीमज धनुष पन्नर? एसहीत ॥ गानअमेगं पन्नरस। धणुसया तह धणूणि पन्नरस्स॥ साठ वली आंगुल जंबुद्दीपनुं गणीतपद जांणजो ॥ १० ॥ ए०५६९४१५०।१गा० १५१५० ६०। द्वार २ सहिं च अंगुलाई। जंबुद्दीवस्स गणियपयं॥२॥द्वार |
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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