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________________ - यांच ले गर्नज तिर्यंच देवताने वी नारकी वायुने वीषे च्यार बेत्र बे केवलीयाहारक एबे वर्जिने। ए बाकी के ॥ द्वार ए पण गप्न तिरि सुरेसु। नारय वाकसु चारतिय सेसे।। द्वार १० विगलेंद्रीने बे द्रष्टीले एक मिथ्याद्रष्टी ले बाकी [द्वार ए थावरने। मके त्रण द्रष्टी डे ॥१॥ द्वार १० विगले दु दीछी थावर। मिन्नत्ती सेस तिय दिवी॥॥ द्वार? १ थावर पांचएबेरंद्री तेरं चोरंद्री ने वीषे ते बेच[द्वार१० द्री: एसातने वीषे अचक्षुदर्शन। क्षु अचक्षु आगमे काळे ॥ थावर बितिसु अचकु। चनरिंदिसू तहुगं सूए नणिय।। मनुषने? चक्षु अचक्षु अवधी बाकी पनर झमकने वीषे प्रत्येके त्र केवल ए च्यार दर्शन । एत्रण कह्यां ॥१॥ द्वार ११ मणुा चक दंसणिणो। सेसेसु तिगं तिगं नणिश्रण द्वार र अज्ञान ज्ञान प्रत्ये देवता१३मां तिर्यच?मां नरकी हार १२ के त्रण त्रण। मां होय थावर५पांचमां अज्ञान बे ॥ अंनाण नाण तिअं। सुर तिरि निरए थिरे अन्नाण दुगं॥ ज्ञान अज्ञान बेबे विगलेंद्री मनुषमां पांच ज्ञान त्रण अज्ञान त्रणश्मां । ॥२०॥ द्वार १२ नाणा नाण दु विगले।मणुए पणनाण ति अंनाणा। द्वार१३ अगीबार जोग देव तिर्यंचर ने वीषे तेर जे प [द्वार १२ ता१३ने नारकीर ने डे। नर योग मनुषर ने वीषे ३॥ इक्कारस सुर निरए। तिरिएसु तेर पन्नर मणुएमु॥ विगलेंद्रीश्ने च्यार ने पांच वा जोग त्रण शेष थावरने होय युकायरमां। ॥१॥ द्वार १३ विगले चन पण वाए। जोग तिग्रंथावरे होई॥२१॥
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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