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________________ AT . . ॥अथ विद्याशाला वर्ग ॥ ॥ काव्य॥ विद्याशाला विशाला प्रबलतरसुतैर्बुद्धि जाम्या पहारि । विद्वद्भिर्माननीया जिनपद विनबैर्धर्म संपादनाय ॥ सद्धर्मोत्र प्रणा प्रतिदिन मनिशंदर्शनं वंदनंये । कुर्वत्युच्चैः समाजं स्वविनव कुशलथोमिथः श्रावकेया॥१॥ था प्रकणो पदअर्थे लषतां घणो हर्ष वैराग थयो ले पण ते घणोकाल थीरनावी रहेतो महाफल थापे॥ ॥श्लोक ॥ धर्माख्याने श्मशानेच रोगिणां या मतिर्नवेत् ॥ यदि सानिश्चला बुधिः को नमुच्येत बंधनात्॥१॥ - ॥ - - - ॥ विद्याशालामा चोपमीन मले ते॥ रू० ॥ चोपमिन नांम॥ रू० ॥ चोपमिनु नाम ॥ २ शास्त्री प्रतिक्रमण ॥ ॥ रूपविजय तथा पद्म २॥ गुजराती प्रतिक्रमण विजयजी कृत पूजा २॥ प्रक्रणमालानी ॥ १॥ देववंदनमालानी । २॥ पजुसपना व्याख्या १॥ वीरविजेजीकृत पूजा ननी सशायनी बाळा १ सनात्रपंचासीका गुज बोधनी ग्यानवीमळ ॥ शत्रुजा म्हात्मनी गुण सूरिजी कृत ॥ ॥ सीरप्रकरणनी टीका ॥ देवसि राइनी ॥ d अमदावाद मोशीवामानी पोळमा
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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