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________________ - प्रकृतीबंधश्थीतीबंधअनुनागबंध। प्रदेशबंध?एनेदेकरीजांणवा९३ पयरीईश्अणुनाग३ । पएसध्नेएहिं नायव्वा॥५३॥ प्रकृती ते स्वनाव कह्यो जे थीती ते कालमान अथवा म सुंर तीखी लींब कटुक। काल हरण समयादि ने॥ पयई सहाव वुत्ता। शि कालोवहारणं॥ अनुनाग ते रसबंध जाणवो प्रदेश ते कर्मनां दलीयानो संच|| एक दि गुणादि। य वा मेलवयूँ ॥५४॥ __ अणुनागो रसो नेन। पएसो दल संचन ॥५४॥ हवे प्रकृति मुल नत्तर १५७ इहां वेदनीर मोहनी आयुरनांम? ज्ञानावर्णि१ दर्शनावर्णि। गोत्रर कर्म ॥ इह नाणदंसणाश्वरण। वेअश्मोहाधमयनामहंगो आयुध नामर ०३ गो याणि॥ अंतरायकर्म?ए मुल थाd वली र अंतरायकर्मनीए एवं नुत्तर उत्तर ज्ञा० पद एवं मो०२७ जेदे आवेनी १५७ ॥ ५५ ॥ विग्घंच पण नव दुअ चनतिसय दु पण नेय॥५॥ हवे मुलकर्मनीस्थीती अध्वीसा वेदनीकर्म? नीचे वली अंतराय ज्ञानावर्णि१ दर्शनावर्णिकर्म। कर्म१॥ नाणेर दंसणाश् वरणे। वेयणीए३ चेव अंतराएअ॥ ए ब्यारे घातीकर्मनी त्रीस सागरोपमनी थीती नत्कृष्टी ले कोमा कोम। ॥५६॥ तीसं कोमाकोमी। अयराणं हि नकोसा॥५६॥ ||सितेर कोमा कोम सागरो मोहनी कर्मनी ने वीस कोमाकोमनी | पनी थीती। नाम गोत्रनी ॥ सित्तरी कोमा कोमी। मोहणीएरवीस नामश्गोएसु३॥
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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