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________________ - - |ए रीते संवरतत्व उतुं ॥ ६॥ नेद ५७ इशि संवरतत्व ॥६॥ % 3AKAL हवे नीर्जराजेदरश्नही असन वा अनीयहे वार निमादि संजारे आहार?अणोदरी एककवलादीनि? बतिसंखेप १ रसवीगेनुं तजवू॥ अणसणरमुणोशरिया। वित्तिसंखेवणं३रसच्चान॥ लोचादीके करीने? अंगोपांग सं एड बाझतापना नेद होय कोचवे करी। लोक प्रसीद्ध ते बाझ॥४॥ कायकिलेसोथसंलीयाय। बसोतवो होई ॥४॥ पाप लागु ते गुरु पासे कही प्रायदि आचार्यादीकनी सेवादीक तीम तले गुणी वमेरानो वीनय करे।। ज पांचनेदे? जणवादी सझाय? | पायचित्र विणन। वेयावच्चं तहेव सज्जान४॥ पदस्थादी च्यार दे धर्म शुक्लध्या ए बनेदे अभ्यंतर तप होयचं न करे? कानसग्ग पिण करे। तरंग मोक्ष हेतु माटे ॥४॥ जाणंए नस्सग्गोविअद। अप्रिंतर तवो होइ॥४॥ जे दुषण लागे ते दंन रहीत ननयते बालोयण पमिकमण एबे गुरु आगे केहेवू ॥१॥पमिकम करि गुरु आगे मिथ्या दुक्रत देवो णु करतुं वा पाप दुषण न ल ॥३॥अकल्प जात पांणीनो त्याग गावें ॥२॥ करवो॥॥कानुसग्ग करवो काय व्यापार त्याग लक्षण ॥५॥ आलोयणर पमिक्कमणो। नय३ विवेगध मुसग्गोए। गुरुदत्स वीगयत्यागधी जाव नमासी तप परांचीत जे गच्छबाहीरली नुं करवू ॥६॥कांइक व्रत पर्जायनुं यथा गबाहीर यावत् योग काल योग बेदq॥॥सर्वथा व्रत पर्जायनुं ले क्षेत्र बाहीर सिद्धसेनदिवा - = -
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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