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________________ दीवशे चिंतव्यां कार्यनी करणी थीणंदी नांमे नीद्रा तेनुं अर्धचक्री करे नंघमां रात्रे। वासुदेव तेथीअर्ध बलदेव समबल । दिण चिंति अब करणी। थीणही अघचक्कि अधबला॥ ए रीते तिर्थंकरदेवे कह्युले उमीदार तुल्य दर्शनावी कर्म ते स्युं ते कहे। नी नव प्रक्रति ॥१॥ एवं जिणेहिं नणिय। वित्ति समं दंसणावरणं ॥२॥ हवे थावरनो दसको थावर सूक्ष्म अपर्याप्त। साधारण अथिर अशुजर दुनर्ग१॥ थावर सुहुम अपऊ। साहारण अथिर असुन दुनगाणी दुस्वर अनादेयरअजस । एथारनो दसको वीवर्यो जेम तीम दुसर पाश्जा जसं। थावर दसगं विवऊ ॥२२॥ हवे कषायश्थीती जीवतां सुधीय एक पक्ष संजलनी स्युं फ नंतानुबंधिनी एक वर्ष अप्रत्यारख्या लगती नरकर तिर्यंच नीनी च्यार मास प्रत्याख्यानीनी। नर३ देवतानी। जावजीव वरस चन्मास। पकग्ग निरय तिरिय नर स्युं रोके समकिती अनुव्र यथाख्यातचारीत्रधए च्या अमरा॥ तर सर्वविरती३। र गुणने रोके ॥ २३ ॥ | सम्मा णु सव्वविर। अहकाय चरित्त घायकरा॥२३॥ संजलनोजलनी प्रत्याख्यानीनों रजनी? अप्रत्याख्यानीनो प्रथवी रेखा सरीखो चार नेदे क्रोध नीर अनंतानुबंधिनो पर्वतनी। होय॥ जल रेणु पुढवी पव्वय। राई सरिसो चम विहो कोहो॥ तरणानी सली वा नेत्रनी वेल पथरना थांनानी पमा तुल्य! नीरलाकमानार हामकाना। मान च्यार दे॥२४॥ तिण सलया की। सेल बंनो वमो माणो॥४॥
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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