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________________ हवे मुहुर्तमान एककोम समसग्लाख। सित्योतेरहजार॥ एगाकोमी सतसही लका। सत्तहत्तरी सहस्साय॥ . एटली यावलीकाले एक मुहु बसेंने सोल अधीक १६७७७५१६। काल ॥१३॥ दोसया सोल हिआ। आवलिया एग मुहत्तंमि१३ अथवा बीजी रीते मुहुर्तमान त्रण तीहतर ए समग्र सासो हजार सातसेंने। सासे ३७७३॥ तिन्निसहस्सा सत्तयसयाणि। तेहुत्तरं च नस्सासा॥ एम एकमुहुर्त्तकाल कह्यो केणे।समस्त वा सघला केवलज्ञानीयोए१४ एस मुहुत्तो नपि। सव्वहिं अणंतनाणीहिं॥१४॥ ए केहेवे करी अजीवतत्व २ भेद १४चनद उत्तर॥ ॥इति श्री अजीवतत्व ॥२॥ हवे पुन्यतत्वना नेद४ श्सातारनंच देवगती अनुपुर्वी पंचेंद्रीजा गोत्रमनुषगतीअनुपुर्वी ए दुग। ति? पांचसरीर५॥ सारनच्चगोअरमणुदुगर सुरदुगपंचिंदिजारपण पहेलां नदारीक वैक्रीय आहा प्रथम संघयण' प्र रक ए त्रण सरीरनां श्नपांग। संस्थान ॥१५॥ आइ ति तणुणुवंगा३। आश्म संघयणसंगणाः॥१॥ वर्णचोक शुजय अगुरुलधुर पराघातर सासोसास? आताप? हलवं नहीं नारे नहीं ते। न्योत? ॥ .. वनचनकाधगुरुलहु१। परघा?कसासश्त्र वृषन हंस गज जेवी चाल्य निर्माण देवतार्नु? मनुषनु? तीर्यचनुर | ते शरिरनो सुघाटश्त्रसनोदसको२०। आयु तीर्थंकरनांमए४।१६।। सुनखगनिमिणरतस सुरश्नर तिरिश्ान तिबय
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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