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________________ २०० हवे ते शास्वती प्रतीमा के पांचवें धनुषनी डे लघु वा नाहांनी|| वमी तेहनु मान कहे प्र सात हाथनी ॥ तीमा वली मोहोटी। पमिमा पुण गुरुआना पण धणुसय लहुअसतहबाना ते कीहां बे मणीमय पीठीका सिंहासन पर बेठी एहवी नपर देवबंदामां। जे ॥६॥ मणिपीढे देवछंदयंमि। सीहासणनिसन्ना ॥६॥ ते जिनप्रतीमाने पुंठे एक प्रतीमा जिनेश्वरने सहामी बे प्रती|| बत्रधर। मा चांमर धारक । जिणपिठे उत्तधराशपमिमा जिण निमुह दुन्निश्चमरधरा नागदेव नूतदेव जक्षदेवनी कुंमधारी श्राज्ञाधारी जिनेश्वरना सन प्रतीमा। मुख बेबे प्रतीमा जे एम एक एक जि नप्रतीमा प्रते अगीबार अगीयार प्र|| तीमा उत्रधर आदेनी डे ॥७॥ नागाश्नूआश्जका।कुंमधराश् जिणमुहा दोदो॥७॥ हवे ते जिनप्रतीमानां अंगो पगनी हाथनी वालनी जूमी जीन|| पंगादीकनी वर्णसोना केहेडे तालq एटलां रातेवणे ॥ श्री वच्छ नानि चुंचुक। | सिरिवछ नानि चुच्चुत्रापयकर केसमहि जीह तालुरुणा अंकरत्नसमान नख तथा यां अंते नेहमे रातेवणे बे तीमज ना ख जाणवी। सीका ॥6॥ __ अंकमया नह अही। अंतो रत्ता तहा नासा ॥७॥ थांखिनी कीकी तथा यांखिनी दल जे पापण तथा अमुह जे नांप रोमराइ वा रोमश्रेणी। ण तथा सर्व केश एटलां श्यामरत्नमइ ॥ तारा रोमरा। अहि दला नमुहि केस रिष्मया। -
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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