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________________ % 3D २७४ तोहेपीण काय जीवन हित परण्यो एहवो जयवंतो वरतो श्री चिंतवता नावथी केवलज्ञा पार्श्वजिन त्रेवीसमो तीर्थकर ॥१॥ नादि गुणलक्ष्मी। नावेण केवल लछि। विवाहित जयन पासजिणो॥२॥ चुना वीनान तंबोल सोना पास विना वा खटव्या वीना वस्त्रा न पांमे रंग न आपे। दीके न थाय जिम रंग ॥ निचुन्नो तंबोलो। पासेण विणा नहोइ जह रंगो॥ तिम दांन शील तप नावना ए चा निफल जांणवा अंतःकरण रेपीण। - शुधनाव विना इति तत्वं ५ तह दाण सील तव नावणाअहला नाव विणा॥॥ मणीरत्न मंत्र ओषधी वा यंत्र तंत्र तथा देवतानी नपास जमीबुट्टी। ना पिण वा निश्चे ॥ मणि मंत सहीणं। जंतय तंताण देवयाणं पि॥ एटलांवानां नाव विना सि नहीं निश्चे कोइने देखाय वा श्रा द्धपणाने। पे लोकमां ॥३॥ | नावेण विणा सिघी। न ह कस्स दीसई लोए॥३॥ नली नावनाने वसे करीने। प्रसन्नचंदराजरूषी बेघमी मात्रे करी॥ सुह नावणा वसेणं। पसन्नचंदो मुहुत्त मित्तेण॥ खपावीने कर्म जे घनघाती पांम्यो केवलज्ञान ते नावे करी रूप गांठ प्रते। ने माटे नाव तेज मुख्य ॥४॥ खविकण कम्म गंगि। संपत्तो केवलं नाणं ॥४॥ श्रुश्रूषंति वा सेवना कर आपणी गुरुपी चंदनबालाने में निं ता चरणे वा पगे। द्या करती पोताना दुपण प्रते॥ सुस्सूसंती पाए। गुरुणीणं गरहिकण निय दोसे॥ -
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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