SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 172
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अचंकारी नट्टानु चरित्र सांजलीने कोनुं न धुणे निश्चे मस्तक वा कथा प्रते। अर्थात् धुणेज॥ अञ्चंकारिअ चरिअं। सुणिकणं को न धुणई किर सीस॥ जेणे अखंमपणे सील पाल्युं। नीलनो पती जे पल्लीपती तेणे करी कष्टनी कोम पण धीर्य न मुक्यु॥१६॥ जा अकंमिश्रसीला निन्नवश्कयबिश्रावि दढं॥१६॥ आपणो मित्र आपणो ना आपणो जनक जे बाप आपणा बा इ सगो। पनो बाप अथवा पिण ॥ | नियमित्तं निय नाया।निय जपाननिय पियामहो वा वि बापणो पुत्र पिण एटलामांजे न वाहालो होय लोकोने सील सीलरहित कुसीलीयो होय ते। विना माटे ॥१॥ निय पुत्तोवि कुसीलो। न वन्नहो होश लोाण॥१७॥ सघलाये पिण व्रत प्रते। नागे थके अस्ती वा डे कोइ पीण आलोयणादी नपाय ॥ सव्वेसिपि वयाणं। जग्गाणं अनि कोइ पमिश्रारो॥ पिण पाका घमा प्रते कांना न होई सील फेर नागे कोइ नपा न चोटे तिम। य॥१ ॥ पक्क घमस्स व कन्ना। नहोइ सीलं पुणो नग्गं॥२०॥ वैताल वा पिसाच नूत रा केसरीसींह चितला हस्ती सर्प ए स क्षस। घलांना॥ वेपाल नूत्र रकस। केसरि चित्तय गइंद सप्पाणं ॥ लीलाये करी नागे अहंकार पालतो जे होय निर्मल सील प्रते वा मद प्रते। ते धणी ॥१॥ लीलाई दल दप्पं। पालंतो निम्मलं सीलं ॥रणा - -
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy