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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लिपिपत्र सातवां. यह लिपिपत्र वाकाटक राजा प्रवरसेनके ही दूसरे दानपत्रकी छाप से (१) तय्यार किया है. इसकी लिपिलिपिपत्र छठेकी लिपिसे मिलती जुलती है, परन्तु अक्षरोंके सिर और लिखनेकी शैलीमें उससे फर्क है. इसमें 'इ' और 'ई' के चिन्होंका भेद ठीक ठीक नहीं बतलाया. लेखकी अस्ली पंक्तियोंका अक्षरान्तरः- ' वाकाटकानाम्परममाहेश्वरमहाराजश्रीप्रवरसेनस्यवचना[त्]भोजकटराज्ये मधुनदीतटे चाङ्क नामग्राम : राजमानिकभूमिसहस्त्रैरष्टाभिः ८००० शत्र(त्रु)नराजपुत्रकोण्डराजविज्ञा(ज्ञ)प्त्या नानागोत्रचरणेभ्यो ब्राह्मणेभ्यः सहस्त्राय दत्त : यतोस्मत्सन्तका[:]सर्वाद्ध्यक्षाधियोगनियुक्ता आज्ञासञ्च(ञ्चा)रिकुलपुत्राधिकता भटाच्छा[च्छा]त्राश्च विश्रुतपूर्वयाज्ञयाज्ञपयितव्या विदित-- लिपिपत्र आठवां. यह लिपिपत्र गुर्जर (गूजर) वंशके राजा दद्द दूसरेके शक संवत् ४०० के दानपत्रकी छापसे (२) तय्यार किया है. इसमें अ, आ, ए, ख, ङ, ज, थ, ब, ल और श अक्षरों में पहिलेसे कुछ फर्क है, और हलंतका चिन्ह एक आडी लकीर है, जो व्यंजनके नीचे लगाई गई है (३). दानपत्रकी अस्ली पंक्तियोंका अक्षरान्तर: ॐ स्वस्ति विजयविक्षेपात् भरुकच्छप्रहारवासक(का)त् सकलघनपटलावनिर्गतरजनिकरकरावबोधतकुमुदधवलयश[:] तापस्थगितनभोमंडलोनेकसमरसंकटप्रमुख गतनिहतशत्रुस(सा)मंतकुला(ल)वधु(धू)प्रभातश(स)मयरुदितफलोदीयमानविमलनिस्त(स्लिं)शप्रतापो देवद्विजातिगुरु होना चाहिये उक्त लेख को, जो छाप फलौट साहिबने कार्पस इन्स्क्रिपणनम् इण्डिकरम् की जिल्द ३ रौको प्लेट २८ में दी है, उसमें तो देवगुप्तका नाम बिल्कुल नहीं पढ़ाजाता. (१) इण्डियन एण्टिकरी (जिल्द १२, पत्र २४२-४५ के बीच की प्लेट), (३) इण्डियन एण्टिकरी (जिल्द ७ पृष्ठ ६२-६३ के बीचको प्लेट). (३) इस दानपत्रको लिपि इस लिपिपत्र में लिखअनुसार है, परन्तु इसके अन्त में राजाने अपने हस्ताक्षरोंसे " स्वहस्तीयं मम श्रीवि(वी)तरागशु(स)नो[:] श्रीप्रम(गां)तरागस्य" लिग्दा है, जिसकी लिपि वर्तमान देवनागरीसे बहुतही मिलती जुलती है. इससे पाया जाता है, For Private And Personal Use Only
SR No.020558
Book TitlePrachin Lipimala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaurishankar Harishchandra Ojha
PublisherGaurishankar Harishchandra Ojha
Publication Year1895
Total Pages199
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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