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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (३८) अधिराज इन्द्र, और इस दानपत्रका महाराज इन्द्रवर्मा एकही होना संभव है. यह इन्द्रभहारक उक्त नामका पूर्वी चालुक्य राजा होना चाहिये, जो जयसिंह पहिले (शक सं० ५४९ से ५७९ या ५८२ तक ) का छोटा भाई, और विष्णुवर्द्धन दूसरे ( शक सं० ५७९ से ५८६, या शक सं० ५८२ से ५९१ तक ) का पिता था" (१). यदि क्लीट साहिबका उपरोक्त अनुमान सत्य हो, तो इन्द्रवर्माका शक संवत् ५८० के आस पास विद्यमान होना, उसके दानपत्रका गांगेय संवत् १२८ शक संवत् ५८० से कुछ पहिले या पीछे आना, और गांगेय संवत्का प्रारम्भ (५८०-१२८ = ४५२) शक संवत्की पांचवी शताब्दी में होना सम्भव है. नेवार संवत् ( नेपाल संवत् )-नेपालकी वंशावलीमें लिखा है, कि "दूसरे ठाकुरी वंशके राजा अभयमल्लके पुत्र जयदेवमल्लने नेवारी संवत्' चलाया, जिसका प्रारम्भ ई० स० ८८० से है. जयदेवमल्ल कान्तिपुर और ललितपहनका राजा था, और उसके छोटे भाई आनन्दमल्लने भक्तपुर या भाटगांव तथा वेणिपुर, पनौती, नाला, धोमखेल, खडपु, चौकट, और सांगा नामके ७ शहर बसाकर भाटगांवमें निवास किया. इन दोनों भाईयोंके राज्य में कर्णाटक वंशको स्थापन करनेवाले नान्यदेवने दक्षिणसे आकर नेपाल संवत् ९ या शक संवत् ८११ श्रावण शुदि ७ को समग्र देश ( नेपाल ) विजयकर दोनों मल्लों (जयदेवमल्ल और आनन्दमल्ल) को तिरहुतकी ओर निकाल दिये (२)". ऊपरके वृतान्तसे पाया जाता है, कि नेपाल संवत् ९ शक संवत् ८११ में था, जिससे शक संवत् और नेपाल संवत्का अन्तर (८११-९% ) ८०२, और विक्रम संवत् व नेपाल संवत्का (८०२+१३५ = ) ९३७ आता है. उसी वंशावलीमें फिर आगे लिखा है, कि सूर्यवंशी हरिसिंहदेवने शक संवत् १२४५ या नेपाल संवत् ४४४ में नेपालदेश विजय किया (३). इससे शक संवत् और नेपाल संवत्का अन्तर (१२४५-४४४ = ) ८०१, और विक्रम संवत् व नेपाल संवत्का (८०१+१३५ %3 ) ९३६ आता है. प्रिन्सेप साहिबने नेपालके रेजिडेन्सी सर्जन डाक्टर बामलेसे मिले. हुए वृतान्तके अनुसार लिखा है, कि नेवार संवत् अक्टोबर ( कार्तिक ) (१) इण्डियन एण्टिक्केरी ( जिल्द १३, पृष्ठ १२० ). (२) इण्डियन एण्टिकरी (जिल्द १३, पृष्ठ ४१४). (३) प्रिन्सेस एण्टिविटीज--युसफुल टेबल्स (जिल्द २, पृष्ठ १६६). For Private And Personal Use Only
SR No.020558
Book TitlePrachin Lipimala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaurishankar Harishchandra Ojha
PublisherGaurishankar Harishchandra Ojha
Publication Year1895
Total Pages199
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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