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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir है (१), और उसके पुत्र नरसिंहदेवके समयके दो लेख [चेदि] संवत् ९०७ और ९०९ के (२), और एक लेख [विक्रम संवत् १२१६ का ( ३)मिलनेसे स्पष्ट है, कि विक्रमी संवत् १२१६ चेदि संवत् ९०९ के निकट होना चाहिये. इससे चेदि संवत् का प्रारंभ विक्रम संवत् (१२१६-९०९% )३०७ के आस पास में आता है. प्रथम जेनरल कनिंगहामने ई० स० १८७९ में इस संवत्का पहिला वर्ष ई० स० २५० में होना निश्चय किया था (४), परन्तु डॉक्टर कीलहार्नने बहुतसे लेख और दानपत्रोंके महीने, तिथि, और वार आदिको गणितसे जांचकर ईसवी सन् २४९ ता० २६ अगस्ट, अर्थात् विक्रम सं० ३०६ आश्विन शुक्ला १ से इस संवत्का प्रारम्भ होना निश्चय किया है (५). इस संवत्के महीने पूर्णिमान्त हैं. मध्यहिन्दके कलचुरि राजाओंके सिवा गुजरातके चालुक्य (६) और गुर्जर राजाओंके कितनेएक दानपत्रोंमें यह संवत् दर्ज है. कितने एक विद्वानोंका यह भी अनुमान है, कि कूटक राजाओंके दानपत्रों में जो " कूटक संवत्" लिखा है वही यह संवत् है (७). गुप्त या बल्लभी संवत्-गुप्त संवत् गुप्तवंशके राजा चन्द्रगुप्त पहिलेका चलाया हुआ प्रतीत होता है. गुप्तों के बाद बल्लभीके राजाओंने यह संवत् जारी रक्खा, जिससे काठियावाड़में पीछेसे यही संवत् "वल्लभी (१) इण्डियन एण्टिक्करौ (जिल्द १८, पृष्ठ २११), (२) एपिग्राफिया इण्डिका (जिल्द २, पृष्ठ १-११) इण्डियन एण्टिकरी (जिल्ट १८, पृष्ठ २११-१३). (३) इण्डियन एगिट केरौ (जिद १८, पृष्ठ २१३-१४). ( ४ ) आक्रियालाजिकल सर्व आफ इण्डिया-रिपोर्ट ( जिल्द ८, पृष्ठ १११-१२ ). इण्डि-- यन ईराज ( पृष्ठ ३०). (५) इण्डिरान एण्टिक्के रो ( जिल्द १०, पृष्ठ २१५,२२१). एपिग्राफिया इण्डिका ( जिन्द २, पृष्ठ २८.). (१) दक्षिणके चालुक्य राजा पुलिकेभी पहिले के पुत्र कौति वर्मा पहिले से निकली हुई गुजरात की शाखाके राजा, (७) कलचुरि संवत् का प्रचार राजपूतानामें भी होना चाहिये, क्योंकि जोधपुर राज्यके इतिहास कार्यालय में " दधिमतो माता" के मन्दिरका संवत् २८३ श्रावण द० १३ का लेख रक्खा हुपा है, जिसमें कौनसा संवत् है यह नहीं लिखा, परन्तु अक्षरोको आकृतिपरसे अनुमान होता है, कि उस लेख में “ कलचुरी संवत् ” होर . For Private And Personal Use Only
SR No.020558
Book TitlePrachin Lipimala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaurishankar Harishchandra Ojha
PublisherGaurishankar Harishchandra Ojha
Publication Year1895
Total Pages199
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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