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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir और चीन (१) वाले सन् ई० से ६३८ (विक्रम संवत्से ५८१) वर्ष पहिले मानते हैं. चीनी यात्री फाहियान जो ई० सन् ४०० में यहां आया था, वह लिखता (२) है, कि इस समय निर्वाणसे १४९७ वर्ष गुजरे हैं. इससे निर्वाणका समय ई० सन् से पूर्व (१४९७-४०० % ) १०९७ के निकट आता है. दूसरा चीनी यात्रीहुएत्संग, जो ई० सन् ६२९ से ६४५ तक इस देशमें रहगया था, उसने कश्मीरके वृत्तान्तमें निर्वाणसे १०० वें वर्ष में अशोकका राज्य दूर दूर तक फैलना लिखा है (३). सहस्राम, रूपनाथ, और पैराटकी अशोककी धर्माज्ञाओंमें निर्वाण संवत् २५६ दिया है, जिसपरसे डॉक्टर बुलरने सन् ई० से पूर्व ४८३-२ और ४७२-१ के बीच निर्वाणका निश्चय किया है (४). प्रोफेसर कर्न (५) ने सन् ई० से ३८८ (वि० सं० से ३३१), फर्गसन साहिबने (५) सन् ई० से ४८१ (वि० सं० से ४२४ ), जेनरल कनिंगहाम ने (६) सन् .ई० से ४७८ (वि० सं० से ४२१), प्रोफेसर मैक्सम्यूलरने (७) ई० सन से ४७७ (वि० सं० से ४२०), और पण्डित भगवानलाल इन्द्रजीने उपरोक्त गयाके लेखके अनुसार सन् ई० से ६३८(वि० सं० से ५८१ ) वर्ष पहिले निर्वाणका निश्चय किया है (८). - (१) प्रिन्सेप्स एण्टिविटीज (मिल्द २, युसफुल टेबल्स, पृष्ठ १६५). (२) पुहिएरेकर्ड आफ दो वेसन वल्र्ड (जिल्द १ की भूमिका, पृष्ठ ५.). (जिल्द १, पृष्ठ १५०), (४) दण्डियन एण्टिक्केरी (जिल्द , पृष्ठ १५४). (५) साइक्लोपीडिया आफ इण्डिया (जिल्द १, पृष्ठ ४९२). (६) कार्पस इन्स्क्रिप्शनम् इण्डिकरम् (जिद १ की भूमिका, पृष्ठ ८). (0) हिरी आफ एन्श्यण्ट संस्कृत लिटरेचर ( पृष्ठ २९८ ). (८) अशेकचलके छोटे भाई दशरथका एक लेख लक्ष्मणसेन संवत् ७४ का मिला है (इण्डियन एण्टिक्केरौ, जिल्द १०, पृष्ठ १४६), जिसके पाधार से गया के लेख में निर्वाणका समय कौनमा माना है, उसका निश्चय प्रसिद्ध प्राचीन गोधक पण्डित भगवानलाल इन्द्रजीने इस तरह किया है :___लक्ष्मणसेन संवत् का प्रारम्भ ई० सन् १९०८ में होना सही माना जावे, तो लक्ष्मणसेन संवत् ७४ + ११०८ = ११८२ ईसवी सन् होता है. लक्ष्मणसेन संवत् वाला लेख अशोकचल्लके छोटे भाई कुमार दशरथके समयका, और निर्वाण संवत् वाला लेख अशोकचल्लो समयका है, जिसमें दसरथका नाम नहीं है, किन्तु दभरथने लेखमें उसको अशोकचनका क्रमानुयायी लिखा है. इससे इन दोनों भाइयों का समकालीन होना, और दोनों लेखोंका समय भी करीबन पास पासका होना चाहिये. दशरथके लेखके अनुसार निर्वाणका समय १८१३ - ११८२ = ६५१ वर्ष सन् ... से पूर्व के लगभग पाता है. For Private And Personal Use Only
SR No.020558
Book TitlePrachin Lipimala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaurishankar Harishchandra Ojha
PublisherGaurishankar Harishchandra Ojha
Publication Year1895
Total Pages199
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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