SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 7
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कर्मग्रन्थ प्रस्तावना. यथोपलब्धिकर्तृनामतत्समयादिनिदर्शनसहितमूलटीकादिग्रन्थानां कोष्टकम्नंबर अन्थोनां नाम. का. लोकसंख्या. ग्रन्थरच्याना कालविगैरेनी हकीकत. १ कर्मप्रकृति * शिवशर्मसूरि गा० १७५ । कर्मप्रकृतिना का श्रीशिवशर्मसूरि प्यारे थया ए संबंधी सधी निर्णय थयो नथी. तो पण मानन्थनो उद्धार बीजापूर्वमाथी थएलो होवाथी तेओ श्री विक्रमसं० ५०० ना अरसामा यएला होका जोइए. " चूर्णी श्लो०७००० चूर्णीकारे पोतार्नु नाम भाप्यु नथी तो पण चूमीउपर टिप्पनकरनार श्रीमुनिचन्द्रसूरिथी चूर्णीकार पहेला थया छे. " चूर्णीटिप्पन x मुनिचन्द्रसूरि श्लो०१९२० श्रीमुनिचन्द्रसूरिए भनेक ग्रन्यो उपर चूर्गी-टिप्पन-टीकामो करीछे. तेओ श्रीनो सं० ११७८ मां सर्गवास थयो छे. " वृत्ति * मलयगिरि लो०८००० श्रीमलयगिरिसूरिए भनेक सिद्धान्त भने मन्थो उपर टीकाओ रची। तेओ श्री राजा कुमारपाल भने श्रीहेमचन्द्राचार्यना समकालिन हता. " वृत्ति * यशोविजयोपाध्याय श्लो० १३००० श्रीयशोविजयोपाध्यायनो स्वर्गवास संवत् १७४५ मा थयो छे. २ पञ्चसंग्रह * चन्द्रर्षिमहत्तर गा० ९६३ शतक सप्ततिका २ कषायमाभूत ३ सत्कर्म । कर्मप्रकृति ५ रूप पांचवस्तुओनो संग्रह मा प्रन्धमा होवाथी पञ्चसंग्रह कदेवाय छे. आ ग्रन्थना कर्ता श्रीचन्द्रर्षिमहत्तराचार्यनो समय कोई स्थले जोवामां आव्यो नथी. * आवी निशानीवाला अन्धो छपाइगया छे. २ + आबी निशानिवाला ग्रन्थो हजसुधी अमारा जोवामां आव्या नथी. परंतु वृहट्टिप्पनिका मुद्रित जैन मन्थावली विगेरेमा उल्लेख मली आववाथी अत्रे नोंध करीछे. ॥३॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020557
Book TitlePrachin Karmgranth Satik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Atmanand Sabha
PublisherJain Atmanand Sabha
Publication Year1917
Total Pages476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy