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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कमेग्रन्ध नंबर का प्रस्तावना. SSACASSASAMACAD ग्रन्थोनां नाम. | का. श्लोकसंख्या. ग्रन्थरच्याना कालविगेरेनी हकीकत. " अवचूरि श्लो०७०० । अमारीपासे जे अवचूरिछे तेना श्लो. २०० ने मासरे छे. कदाच आ अवचूरि ७०० श्लोकनी होयतो ते जुदी होवी जोइए. (५) शतक | शिवशर्मसूरि गा० १११ | पदेला नंबरमा कर्मप्रकृति जुओ. " भाष्य गा०२४ ॥ आ बच्चे भाष्योना कर्ताओए पोतार्नु नाम विगेरे आप्यु नथी. " भाष्य | गा०२४ " बृहद्भाष्य | चक्रेश्वरसूरि | श्लो० १४१०४९ मां दधिपना भा भाच्च रघु के. भा चक्रेश्वरसूरि श्री वर्तमानसूरिना शिष्य हता भने तेभोनीए विक्रम चूर्णी श्लो० २३२२| ___ आ चूर्णी काए पोतार्नु नाम विगेरे बाप्यु नथी. " वृत्ति मलधारिश्रीहेमचन्द्रसूरि श्लो० ३७४० मलधारि हेमचन्द्रसूरिए जीवसमासनी वृत्ति सिद्धराजना राज्यमा सं०११६४ मा रची छे तेथी मा वृत्ति एज अरसामा रचाह होवी जोइए. " टिप्पन x | उदयप्रभसूरि श्लो० ९७४ | कर्मविपाकना टिप्पनमा जुओ. " अवचूरि गुणरत्नसूरि | पत्र-२५ गुणरवरि देवसुंदरसूरिना शिष्य हता तेश्रोत्रीए अनेक प्रकरणो उपर अवचूरीओ करेली . तेगोत्री विक्रमनी पंदरमी सदीमा विद्यमान हता. (६) सप्ततिका • चन्द्रर्षिमहत्तर गा० ७५ बीजा नंबरमा पञ्चसङ्ग्रह जुओ. For Private And Personal Use Only
SR No.020557
Book TitlePrachin Karmgranth Satik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Atmanand Sabha
PublisherJain Atmanand Sabha
Publication Year1917
Total Pages476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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