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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री स्नात्र पूजा विधि सहित होवाथी वारंवार भणावतां स्नात्रो यखते तेनो पूर्ण उत्साहथी सर्वत्र उपयोग थाय छे. श्रीवास्तुक पूजानी अनिवार्य जरुरियात तो लांबावखतथी हती. विद्वान आचार्यश्रीए ते जरुरियात आ पूजा रचीने पूरी पाडी आपण सौ उपर अनहद उपकार कयों छे. आवी सर्वांग सुंदर मनोगम्य पूजानी रचनाथी नवा धरना वास्तु वखते कई पूजा भणाववी एवो विचार करवा पणुं हवे रहेतुं नथी. छेल्ले श्री दिवाळीनां देववंदननो पण आ लघु पुस्तिकामां समावेश करवामां भाव्यो छे. ते पण उपयोगी नीवडशे. बालब्रह्मचारी वयोवृद्ध समर्थ ज्ञानी महाराजश्रीनी सर्वांग सुंदर रचनाओमाथी पसंद करेली उपरोक्त रचनाओनां गुणगान गावां ते नाने मोढे मोटी बातो करवा जेतुं छे. तेम करवा जतां तो ए समर्थ भव्यात्मानी अगाध शक्तिओने अन्याय थई बेसे ए विचारे ते रचनाओ भव्य जीवो आगळ रजू करी तेनो सदुपयोग करवा आग्रह करयो एज उचित लागे छे. आवा महान समर्थ आचार्यश्रीनी कृति विषे बे बोल लखवानुं काम मारा जेवा एक सामान्य माणसने सोंपीने आ पुस्तिका छपाबनार गृहस्थोए मारी तरफ ममतादर्शावी मारी उपर जे महान उपकार कयों छे ते माटे तेओनो हार्दिक आभार मोनी विरमुं छ. हजारो वंदन हो ए महान विभूतिने. अस्तु खेडा. ता.१-९-५३ सूरीश्वरनो गुणानुरागी नम्र सेवक वि. सं. २००९. रतीलाल जीवणलाल शाह For Private And Personal Use Only
SR No.020554
Book TitlePooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyasinhsuri
PublisherHiralal Bhagubhai Shah
Publication Year1953
Total Pages145
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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