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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( y ) पर उस समय पहिले से तैयार न होने एवं संगठन की न्यूनता से कुछ उपाय नहीं होता वा किया जाता इससे श्राये वर्ष वर्षाकाल में मच्छरों की पीड़ा सताती है । यद्यपि चारों ओर से इनसे रक्षा पाने के लिये पुकार हो रही है परन्तु अब तक न तो कोई गीवान बना है और न कोई उपाय ही कारगर हुआ है। पर वास्तव में यदि हम यह चाहते हों कि हम लोगों का स्वास्थ्य अच्छा बना रहे तो मच्छरों के प्रतीकार के लिये आवश्यक उद्योग प्रत्येक को करना चाहिये । मच्छरों के नाश से केवल उनके डंस वा मलेरिया की पीड़ा ही कम नहीं होगी किन्तु परोक्ष में अन्यान्य बीमारियों के कारण भी दूर होंगे और सफाई की और अधिक ध्यान रहने से तन्दुरुस्ती का भी श्रानन्द मिलेगा जिससे कितनी ही चिन्तायें कम हो जावेगी । मच्छर आस पास उत्पन्न ही न हो इसके लिये घर में कहीं पानी जमा न होने पावे इसका ध्यान रखा जावे, मोरिये साफ रखी जावें, उनमें चुने का पानी डाला जावे । रसोई घर सथा जहां झूठे बरतन साफ किये जाते हैं वहां सफाई रखी आवे, चाहे जहां बैठ खान पान न किया जावे जिससे घर में हर स्थान पर झूठन श्रादि के कारण मक्खी मच्छर पैदा हों वा रहें। जहां बरतनों का धोवन - मैला झूठा पानी श्रथवा झूठनडाली जावे, वह जगह २/३ दिन में चूने से साफ करादी जाया करें। तथा हो सके तो थोड़ा घासलेट तेल भी वहाँ डाल दिया जावे । वर्षा का जल सड़क पर वा गली में घर के सामने वा आस पास न बहकर, शेष कुछ पड़ा रह जाय इसके लिये सावधानी रखी जावे, पड़े हुये पानी में १ सप्ताह के बाद मच्छर पैदा होने लगते हैं अथवा पैदा हुए मच्छरों की वृद्धि होने में सहायता मिलती है। कीचड़ न हो और घर में सील भी पैदा न हो इसका ध्यान भी रखा जावे । इत्यादि साधन For Private And Personal Use Only
SR No.020550
Book TitlePathya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunamchand Tansukh Vyas
PublisherMithalal Vyas
Publication Year
Total Pages197
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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