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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ७१ ) रहन महन(१) पूर्ण विश्राम करना चाहिये। (२) निर्वात स्थान में रहना चाहिये। (३) शरीर को कपड़ों से ढके रखना। (४) गर्म कपड़े पहिनना। (५) मानसिक श्रम नहीं करना। (६) स्वच्छता रखना। (७) स्वच्छ मकान में अन्य सामान्य पथ्य में रहन सहन बतलाया है वैसा करना। स्वेद लेना उत्तम है। नल की मालिस (सर्दी व थकान से ज्वर हो तो) ब्रह्मचर्य का पालन। (१) परिश्रम करना। (२) कसरत करना। (३) हवा में बैठे रहना व हवा में घूमने जाना। (४) कपड़े काफी और बदन को सर्दी से बचावे बैसे न पहिनना। (५) छाती खुली रखना। (६) रात्रि में बाहिर निकलना। (७) स्नान करना। (८) रात्रि में जागना। (E) दिन में सोना। (१०) ज़ोर २ से बात करना। (११) शरीर के ठंडा पानी लगाना। (१२) धूप में बैठना व फिरना। (१३) तेल मसलाना (सर्दी के बुखार में मना नहीं है।) (१४) बुखार का समय चिंतन करना। For Private And Personal Use Only
SR No.020550
Book TitlePathya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunamchand Tansukh Vyas
PublisherMithalal Vyas
Publication Year
Total Pages197
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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