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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ६१ ) सामान्य पथ्य (General Diet ) निम्न खाद्य पदार्थ श्रादि प्रायः सभी रोगों में पथ्य के रूप में विशेष व्यवहार में आते हैं। आवश्यकता होने पर इनमें से श्रवस्थानुसार रोगी के लिये जो २ हितकारी हों और मुनाफ़िक भी हों उनकी व्यवस्था करनी चाहिये । साधारण अवस्थामें वैद्य पथ्य नहीं बतलाते पर रोगी को चाहिये कि वह सदा पथ्य में रहे और नीचे लिखी वस्तुओं में से जो पसन्द श्रावे उनका उपयोग करे । dren (Acute ) अथवा नवीन तरुण रोगों में, अत्यन्त निर्वलावस्था में, मदाग्नि में तथा खास कर ज्वरादि व्याधियों मैं इनका उपयोग विशेष किया जाता है। पुराने तथा जीर्ण ( Chronic ) रोगों में तथा खास २ बीमारियों में और भी कई प्रकार के खाद्य पदार्थ तथा फल फूल ( Fruits) आदि भी दिये जा सकते हैं जिनकी व्याख्या श्रागे भिन्न २ रोगों के पथ्य में की जावेगी । पश्य दूध -- ( पाचन न होता हो अथवा रोगी दुर्बल होतो दूध में जल, पीपल, सोंठ, तुलसी आदि उष्णद्रव्य वा चने का पानी वा सोडा मिला कर गर्म करके छान कर थोड़ा २ बार बार ३३४ घण्टे के अन्तर से दिया जावे ।) अपथ्य बासी पदार्थ बहुत समय पहिले तैयार किये हुये पदार्थ | भारी चीजें (बाटिया, रोटा, सोगरा, घाट, खीच, खारिया, बाटी, चीलड़ा, सीरा, लापसी, मिठाई, खीर, रबड़ी, मावा, पूड़ी, सूखे फूट्स आदि । For Private And Personal Use Only
SR No.020550
Book TitlePathya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunamchand Tansukh Vyas
PublisherMithalal Vyas
Publication Year
Total Pages197
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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