SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 71
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५२ ) (३८) शरीर में शक्ति हो उतना काम करना चाहिये। (३६) रोज नहीं तो कभी २ तो जरूर तैल मसलाना चाहिये। पैर के तलुओं में तथा शिर में तैल जरूर लगाना चाहिये। (४०) स्नान रोज करनी चाहिये । सर्दी में ठंडे नहीं तो गर्म जल से की जावे । बन्द मकान में जहां हवा का झोंका बदन पर न लगता हो वहांकरनी चाहिये । हवा लगे वहां स्नान नहीं करनी चाहिये । स्नान करने के पश्चात् शरीर को सूखे अंगोछे से जरूर पोछना चाहिये, फिर स्वच्छ और सूखे कपड़े पहिनना चाहिये। (४१) कपड़े स्वच्छ और सर्दी गर्मी से बचाने वाले होने चाहिये । बनीयान-कबजा बहुत साफ़ पहिनना चाहिये । सर्दी में ऊन के तथा रुईदार कपड़े पहिने जावें। रुई के कोट से शरीर काचा हो जायगा यह विचार लोगों का गलत है। (४२) वायु सेवन-खुले मैदान में करने जरूर जाना चाहिये । हवा का झोंका न लगे इसके लिये खूब कपड़े पहिने हुये होने चाहिये। (४३) ठंडी हवा चलती हो उस समय मुंह से श्वास न लेकर नाक से श्वास लेना चाहिये जिससे जुखाम, न्यूमोनिया की शिकायत न होने पावे। (४४) वन्द मकान में नहीं सोना चाहिये। मुंह ढक कर नहीं सोना चाहिये। प्रौढ़ने बिछाने के बिस्तर साफ होने (४५) मकान के बारी बारने खुले रखे जावें जिससे ताजी हवा सदा मिलती रहे तथा प्रकाश और धूप भी आती रहे। यदि ठण्ड का भय हो तो श्रौढ़ने के कपड़े विशेष शरीर पर रक्खे जावें तथा परदे लगा दिये जावेपर एक दम खिड़किये बन्द न की जावें। चाहिये। For Private And Personal Use Only
SR No.020550
Book TitlePathya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunamchand Tansukh Vyas
PublisherMithalal Vyas
Publication Year
Total Pages197
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy