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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 8 ) (२१) भोजन जल्दी २ न किया जावे किन्तु प्रत्येक ग्रास खूब चबा २ कर निगला जावे। बिना चबाये जल्दी निगल जाने से खाया अन्न देर में पचता है, आतों को परिश्रम बहुत करना पड़ता है। बहुत लोगों को तो जल्दी २ खाने के कारण ही कई बार बीमार होना पड़ता है। (२२) ठंडी रोटो तथा साग वगैरह नहीं खाने चाहिये न ठंडी कोई वस्तु पीछी गर्म करके खानी चाहिये ।। (२३) जल साफ-स्वच्छ पीना चाहिये, तृषा रखने से खून सूखता है, गर्मी बढ़ती है । भूख लगी हो उस समय जल पीना, पेट का गोग पैदा करता है । उसी प्रकार प्यास में खाने से गुल्म रोग होता है अतः प्यान लगे उस समय जल पीना चाहिये और भूख लगे तब भोजन करना चाहिये। (२४) भोजन करने के बाद बैठे रहना वा सो जाना अच्छा नहीं किन्तु कुछ समय तक धीरे २ घूमना चाहिये। . (२५) भोजन से उठने के बाद बहुत दूर पैदल जाना, जल्दी जल्दी चलना, दौड़ना, सवारी करना, कसरत करना, मेहनत का काम करना, स्नान करना, तपतापना बुरा है अतः घण्टे आध घण्टे तक अारामी Rest करना चाहिये। ___ (२६) दिन में लोना बुरा है पर गर्मी की मौसिम में हानि नहीं करता है। (२७) धूप में नंगे पैर नहीं फिरना चाहिये न पैर गीले रखना चाहिये। (२८) प्रातः जल्दी उठना चाहिये, और सब से पहिले शौचादि से निपट कर भगवान् का स्मरण करना चाहिये । (२६) मल त्याग हमेशा नियत समय जरूर त्यागना चाहिये और टट्टी में बहुत समय न लगाना चाहिये, वहां इधर For Private And Personal Use Only
SR No.020550
Book TitlePathya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunamchand Tansukh Vyas
PublisherMithalal Vyas
Publication Year
Total Pages197
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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