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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १५२ ) शरद ऋतु में दूध पीना बहुत लाभ पहुंचाता है शास्त्र में कहा है कि "शारदं च पयः पीतं तेन जीवंति जंतवः॥ चावल। हलका और शीघ्र पचने वाला धान्य है । पर ये खा बहुत लिये जाते हैं इससे प्रायः मात्रा की अधिकता के कारण देर से पचते हैं। अच्छी अग्नि वालों को तथा परिश्रम करने वालो को चावल खाने पर पोछो भूख जल्दी लग जाती है। किसी २ को यह बादी भी करते हैं, पेट में दर्द हो जाता है, कफ कर्ता भी है अतः जिसे मुआफ़िक न आवे उसे चावल खाने के लिये लाचार न करना चाहिये । चावल में घृत बहुत मिला कर खाते हैं पर घृत के कारण ये देर से पचते हैं। तूर की दाल के साथ खाना यह अच्छा है। जिसे मुआफ़िक हो उसे सभी रोगों में हलके पथ्य के रूप में सेवन करने चाहिये । पर इनमें स्टार्च-आटा बहुत है इससे संग्रहणी पानी लगने की बीमारी, प्रमेह, कफ, श्वास, पेट शूल, आदि में न देने चाहिये । चावल बादो न करें इसके लिये इनके साथ सोंठ, मिरच, नमक, लोग मिला कर सेवन करने चाहिये। कफ में आद्रक के साथ सेवन करने चाहिये । चावलों के साथ खांड़ मिला कर खाना अच्छा नहीं, पित्त की बीमारी के सिवाय कभी नहीं खाना चाहिये । मदाग्नि में खांड़ के साथ खाना हानिकर है । चावल खूब चबा चबा कर खाने चाहिये, नीबू और नमक से ये जल्दो पचते हैं। चावलों की फूली चावलों से बहुत हलकी होती है, उल्टी में ज्यादा फायदा करती है। For Private And Personal Use Only
SR No.020550
Book TitlePathya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunamchand Tansukh Vyas
PublisherMithalal Vyas
Publication Year
Total Pages197
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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