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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १०३ ) जावे तो उसका उपाय भी तुरन्त करना चाहिये । लापरवाही रखने से कई दिन कष्ट उठाना पड़ता है और कभी कभी क्षय जैसी बीमारिय उत्पन्न होने का मूल कारण भी सर्दी हो समझी जाती है । जुखाम मालूम होते हो घर में बैठ रहना चाहिये और सब काम काज छोड़ कर १ वा २ दिन आरामी करना चाहिये । प्रवाही पदार्थ बहुत कम और देर में पोने चाहिये। एक से ताप मान वाले कमरे में एक दो दिन रहना चाहिये। बाहय पथ्य अपथ्य प्रारम्भ में हलका जुलाब । ठण्डी वस्तये। लेना चाहिये। भारी चीजें। २४ घण्टे तक कुछ न मूली। खाना चाहिये। श्रनार। गुड़ की बनी चीजे (गुड़- नारंगी। राब सीरा-गर्मा गर्म लिया खांड की चीज। जावे) चने खाना । नाक में से पानी बहुत श्रावे तब ) साधारण अवस्था में खान पान का विशेष परहेज नहीं है परन्तु रहन सहन में विशेष सुधार रखने की जरूरत है। जल ठंडा जल पीना। २४ घंटे तक पानी नहीं। पानी बार बार और अधिक पीना। पानी कम पीना। उष्ण जल पीना। पीना। For Private And Personal Use Only
SR No.020550
Book TitlePathya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunamchand Tansukh Vyas
PublisherMithalal Vyas
Publication Year
Total Pages197
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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