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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 106 ) तरःयस्यदेवस्ययाशक्तिःसावैतद्रूपधारिणी॥५तछस्त्रधारिणीतद्वद्भूषाढ्यातत्पराक्रमा // तच्छीलातद्व्यवहृति स्तद्वद्वाहनवाहिका // 6 // देव्योजयप्रदाःसर्वा युद्धेतीवविशारदाः चंडिकासहिताएताः सुखदावरदाःसदा // 7 // शक्तिदाःशक्तयोमेवै भूयासुरभयप्रदाः // एतादेव्याविभूतीस्ता स्तांचा स्यानौमिभूतयः // इत्यष्टमात्रवतारंचरित्रंच // अस्यादेव्याएताविभूतयः / स्ताविभूतीश्चयुनस्तांनौमिभूतयः शक्तयइ. त्यस्यविशेषणमहमितिशेषः // देवीदेहात्समुत्पन्ना शिवाशत विराविणी त्वरादेत्यविनाशाय ख्यापयंतीस्वगौरवम् // 1 // व्याहरंतीशिवंदूत वंगच्छभगवन्निति // निशुंभशुभनेदीयेब्रूहि वाक्यमयोदितम् ॥२॥शृण्वतांसर्वदैत्यानां तत्रस्थानांममाज्ञ या // त्रैलोक्यांप्राप्नुयादिन्द्रः संतुदेवाहविर्भुजः // 3 // प्रया तयूयंपातालं जीवनेच्छास्तिचेद्यदि // यदायुद्धंसमिछंतो भवंतो बलविणः // 4 // समागछततृप्यतु भवन्मांसेनमच्छिवाः // ययाशिवःकृतोदूतःशिवदूतीतिविश्रुता // 5 // युद्धेशुंभनिशुं भस्यश्रीकौशिक्यामहासुराः॥ निहताश्चानयादेव्या भक्षिता बहवोरणे // 6 // तस्याश्चरणयोर्दास्यं भूयाजन्मनिज न्मनि // 1 // इति शिवदूत्यवतारं चरित्रंच // पुनारहस्योक्तानिचरित्राणि लिख्यते // शुंभनिशुंभबधानंतरम् / देवैःस्तुता श्रीमद्भगवती प्रसन्नाजातातदा कल्या णाय देवैःप्रार्थिताप्रार्थनानुरूप वरानवतरणे हेतुकान्समदात् अतश्च वैवश्वतमन्वंतरेऽष्टाविंशतिमे कलिद्वापुरसंधौनंदगोपस्यकन्या यशोदागर्भसम्भवा नन्दाख्यावतीर्णा // पुनर्जा For Private and Personal Use Only
SR No.020537
Book TitleParambika Stotravali
Original Sutra AuthorN/A
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Publisher
Publication Year
Total Pages176
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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