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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परिशिष्ट-एक 367 1 2 *29. 3 युकातान (प्राचीन मैक्सिको) युकातान प्रांत में मय जाति की हजारों हस्तलिखित पुस्तकों के भण्डार थे । डीगो द लंदा नाम के स्पेनी पादरी ने उन सबकी होली जलवा दी। यह सब 16वीं शताब्दी में हुआ । (कादम्बिनी, मार्च, 1975) मुल्ला अब्दुल कादिर हेमू ने नष्ट किया। (अकबरी दरबार) के पिता, मलूकशाह का पुस्तकालय, 30. 1540 ई० के लगभग बदायू 31. 1556 ई० प्रागरा अकबर का शाही पोथीखाना। 30,000 के लगभग ग्रन्थ थे। पद्मसम्भव द्वारा स्थापित संस्कृत-तिब्बती भाषा के ग्रन्थों का तिब्बत का साम्ये विहार भण्डार था । पुस्तकालय 33. 1592 ई० अामेर-जयपुर पोथीखाना राजा भारमल्ल के समय से प्रारम्भ । . के लगभग 16000 दुर्लभ ग्रन्थ । 8000 महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का सूची पत्र 1977 में श्री गोपाल नारायण बोहरा द्वारा सम्पादित, प्रकाशित । आमेर-जयपुर राजघराने ने अपने 400 वर्षों के राज्य काल में इस संग्रह को समृद्ध बनाया । 34. 19वीं शती से प्रस्त्राखान (रूस) पाण्डुलिपि भण्डार है। अग्रदास कृत ध्यान मजरी की प्रतिलिपि अस्त्राखान में 1808-9 ई० में की गयी। यहाँ हिन्दी और पंजाबी की भी पुस्तकें मिली हैं । यहाँ बुखारा में प्रतिलिपि की गयी अनेक हिन्दी पुस्तकें मिली हैं । गुरु विलास तो सचित्र है । (धर्मयुग, 21 अक्टूबर, 1973) 35. 1871 ई० से बुखारा यहाँ पुस्तकालय होना चाहिए, क्योंकि पूर्व यहाँ से अनेक ग्रन्थ प्रतिलिपि होने के बाद अस्त्राखान गए। (धर्मयुग, 8 मार्च, 1970, पृ० 23) पूर्व For Private and Personal Use Only
SR No.020536
Book TitlePandulipi Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyendra
PublisherRajasthan Hindi Granth Academy
Publication Year1989
Total Pages415
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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