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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir काल निर्धारण/281 并开并许并 तुलसीदास की क्रमबद्ध विस्तृत जीवन-कथा दी है और जहाँ-तहाँ सम्वत् भी यानी कालसंकेत भी दिये हैं। अतः तुलसी की जीवन घटनाओं और उनकी विविध कृतियों की तिथियाँ हमें इस ग्रन्थ से प्राप्त हो जाती हैं- इससे बड़ी भारी काल-निर्णय सम्बन्धी समस्या हल होती प्रतीत होती है। इसमें तुलसी विषयक सम्बत् निम्न रूप में दिये गये हैं : 1. जन्म-सं० 1554 (रजिया राजापुर) 2. माता की मृत्यु तुलसी जन्म से चौथे दिन 3. विवाह-सम्वत् 1583 में 4. पत्नी का शरीर त्याग एवं तुलसी को विरक्ति सं0 1589 में 5. सूरदास तुलसी से मिले और अपना 'सागर' दिखाया ,, 1616 में 6. रामगीतावली कृष्णगीतावली का संग्रह , 1628 में रामचरितमानस का प्रारम्भ 1631 में 8. दोहावली संग्रह 1640 में वाल्मीकि रामायण की प्रतिलिपि 1641 में 10. मतसई रची 1642 में 11. मित्र टोडर की मृत्यु , 1669 में 12. जहांगीर मिलने आया , 1670 में 13. मृत्यु ,, 1680 में श्रावण श्यामा तीज किन्तु स्वयं ऐसे सभी बहिःसाक्ष्यों की प्रामाणिकता भी सबसे पहले परीक्षणीय होती है । 'मूल गुसाई चरित' की प्रामाणिकता की. जब ऐसी ही परीक्षा की गई तो विद्वान् इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यह 'मूल गुसाई चरित' अप्रामाणिक है। यह क्यों अप्रामाणिक है, इसके लिए डॉ० उदयभानुसिंह ने 14 कारण और तर्क संकलित किये हैं जो इस प्रकार हैं : 'मूल गोसाई चरित' सं० 1687 की कार्तिक शुक्ला नवमी को रचा गया । 'मूल गोसाई चरित' अविश्वसनीय पुस्तक है। इसकी अविश्वसनीयता के मुख्य कारण हैं : 1. यह पुस्तक ऐसे अलौकिक चमत्कारों से भरी पड़ी है जिन पर विश्वास करना किसी विवेकशील के लिए असम्भव है। 2. इसमें कहा गया है कि तुलसी के बाल्यकाल में उनके भरण-पोषण की चिन्ता चुनियां, पार्वती, शिव और नरहर्यानिंद ने की। स्पष्ट है कि तुलसी जीविका के विषय में निश्चित रहे। इसके विपरीत, कवि के स्वर में स्वर मिलाकर यह भी कह दिया गया है कि उस बालक का द्वार-द्वार डोलना हृदय-विदारक था । ये परस्पर विरोधिनी उक्तियाँ असंगत है। 3. इसके अनुसार एक प्रेत ने तुलसी को हनुमान का दर्शन करा कर राम दर्शन ___1. सिह. उदयभानु (डॉ.)-तुलसी काम्य मीमांसा, पृ. 23-25। For Private and Personal Use Only
SR No.020536
Book TitlePandulipi Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyendra
PublisherRajasthan Hindi Granth Academy
Publication Year1989
Total Pages415
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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