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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पांडुलिपि-प्राप्ति और तत्सम्बन्धित प्रयत्न : क्षेत्रीय अनुसन्धान/93 की विभिन्न प्रतियों में पाठान्तर पाया उन सब के नोटिस ले लिये और जिन-जिन ग्रन्थों की भिन्न-भिन्न प्रतियों में पाठान्तर दिखाई नहीं दिया उनमें से सिर्फ एक, सबसे प्राचीन, प्रति का विवरण लेकर शेष को छोड़ दिया । लेकिन इस नियम का निर्वाह भी पूरी तरह से न हो सका "1---- (ग) “कुल मिलाकर मैंने 1200 ग्रन्थों की 1400 के लगभग प्रतियाँ देखीं और 300 के नोटिस लिये । मूल योजना के अनुसार इस प्रथम भाग में इन तीन सौ ही प्रतियों के विवरण दिये जाने को थे, लेकिन कागज की महंगाई के कारण ऐसा न हो सका और 175 ग्रन्थों (201 प्रतियों) के विवरण देकर ही संतोष करना पड़ा। 6. समस्त ग्रन्थों का विषयानुसार विभाजन या वर्गीकरण । पं० मोतीलाल मेनारिया ने इस प्रकार किया है : 1. भक्ति 2. रीति और पिंगल 3. सामान्य काव्य 4. कथा-कहानी 5. धर्म, अध्यात्म और दर्शन 6. टीका 7. ऐतिहासिक काव्य 8. जीवन-चरित 9. श्रृंगार काव्य 10. नाटक 11. संगीत 12. राजनीति 13. शालिहोत्र 14. वृष्टि-विज्ञान 15. गणित 16. स्तोत्र 17. वैद्यक 18. कोश 19. विविध 20. संग्रह प्रत्येक खोज संस्थान या खोज-प्रवृत्त व्यक्ति को यह विभाजन अपनी सामग्री के आधार पर वर्गीकरण के वैज्ञानिक सिद्धान्तों के अनुसार करना चाहिए । पुस्तकालयविज्ञान का वर्गीकरण उपयोग में लाया जा सकता है । प्रत्येक विषय की प्राप्त पांडुलिपियों की पूरी संख्या भी देनी चाहिए । 1. राजस्थान में हिन्दी के हस्तलिखित ग्रन्यों की खोज (प्रथम भाग), प्राक्कथन पृ. ख । 2. वही पृ. 3. वही पृ. च For Private and Personal Use Only
SR No.020536
Book TitlePandulipi Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyendra
PublisherRajasthan Hindi Granth Academy
Publication Year1989
Total Pages415
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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