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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जीमसमास बायरपज्जत्ताणं वियलसपज्जत्त इंदियाणं च । उकोसा कायठिई वाससहस्सा उ संखेज्जा ।। २१६ ॥ तिणि य पल्ला भणिया ४ मिथ्यात्वा५ कालद्वारे दीनां | कोडिपुहुत्तं च होइ पुयाणं । पंचिंदियतिरियनराणमेव उक्कोसकायठिई ॥२१७।। पज्जत्तयसयलिंदियसहस्समब्भहियमुयहिनामाणं । स्थितिः ॥२५०॥ दुगुणं च तसत्तिभवे सेसविभागो मुहुत्तंतो ॥२१८॥ मिच्छा अविरयसम्मा देसे विरया पमत्तु इयरे य । नाणाजीव पडुच्च उ सब्बे | कालं सजोगी य ॥२१९।। पल्लासंखियभागो सासणमिस्सा य हुँति उकोसं । अविरहिया य जहण्णेण एकसमयं मुहुर्ततो ॥२२०॥ सासायणेगजीविय एकगसमयाइ जाव छावलिया। सम्मामिच्छद्दिट्टी अवरुकोसं मुहत्तंतो ॥२२१ ॥ मिच्छत्तमणाईयं अपज्जवसियं सपज्जवसियं च । साइयसपज्जवसियं मुहुत्त परियट्टमघृणं ॥ २२२॥ तेत्तीस उयहिनामा साहीया हुँति अजयसम्माणं । | देसजइसजोगीण य पुब्याण कोडिदेसूणा ।। २२३ ॥ एएसिं च जहण्णं खबगाण अजोगि खीणमोहाणं । नाणाजीवे एग परापर| ठिई मुहुत्तो ।।२२४॥ एगं पमत्त इयरे उभए उवसामगा य उवसंता । एग समय जहनं भिन्नमुडुत्तं च उकोसं ॥२२५।। मिच्छा भवडिईया सम्म देसूणमेव उक्कोसं । अंतोमुहुत्तमवरा नरएसु समा य देवेसु ॥२२६|| मिच्छाणं कायठिई उकोस भवट्ठिई य सम्माणं। |तिरियनरेगिदियमाइएसु एवं विभइयव्वा ।।२२७|| सासायणमिस्साणं नाणाजीचे पडुच्च मणुए। अंतोमुहुत्तमुकोसकालमवरं जहुदिहूँ| है॥ २२८ ॥ काओगणंतकालं वाससहस्सा उराल बावीसं । समयतिग कम्मइओ सेसा जोगा मुहुत्तंतो ।। २२९ ।। देवी पणपण्णाऊ इत्थित्तं पल्लसयपुहत्तं तु । पुरिसत्तं सण्णित्तं च सयाहुत्तं च उयहीणं ।। २३० ॥ अंतमुहु तं तु परा जोगुवओगा कसाय लेसा य । | ॥२५॥ सुरनारएसु य पुणो भवडिई होइ लेसाणं ॥ २३१ ।। छावहिउयहिनामा साहिया महसुओहिनाणाणं । ऊणा य पुधकोडी मणसमइयछेयपरिहारे ।। २३२ ॥ विभंगस्स भवडिइ चक्खुस्सुदहीण चे सहस्साई । नाई अपज्जवसिओ सपज्जवसिओ त्तिय अचक्खू ROCIECCRECORRECAREER For Private and Personal Use Only
SR No.020535
Book TitlePanchashak Mulam
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1928
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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