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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अथ पूर्वभृत्सूरिसूत्रितः श्रीजीवसमासः कहकर जीवसमास है अनुयोग१सत्पद 8 द्वाराणि प्ररूपणाया ॥२३७॥ दस चोद्दस य जिणवरे चोदसगुणजाणए नमंसित्ता । चोद्दस जीवसमासे समासओऽणुकमिस्सामि ॥ १॥ निक्लेवनिरुत्तीहिं छहिं अट्ठहि याणुओगदारेहिं । गइयाइमग्गणाहि य जीवसमासाऽणुगंतव्वा ॥२॥ नामंठवणा दब्बे भावे य चउव्विहो उ निक्खेवो । कत्थइ | य पुण बहुविहो तयासय पप्प कायन्बो ॥३॥ किं कस्स केण कत्थ व केवचिरं कइविहो उ भावोत्ति । छहिं अणुओगदारेहिं सब्बे भावाऽणुगतब्वा ।। ४ ।। संतपयपरूवणया दवपमाणं च खित्तफ़सणा य । कालंतरं च भावो अप्पाबहुयं च दाराई ।।५।।गह इंदिए य काए जोए वेए कसाय नाणे य । संजम दंसण लेसा भव सम्मे सन्नि आहारे ॥६॥ आहारभव्वजोगाइएहिं एगुत्तरा बहू | भेया । एत्तो उ चउदसण्हं इहाणुगमणं करिस्सामि ॥ ७॥ मिच्छा १ऽसायण २ मिस्सा ३ अविरयसम्मा ४ य देसविरया ५ य । विरया पमत्त ६ इयरे ७ अपुन्च ८ आणयाट्टि ९ सुहमा १० य ॥ ८॥ उवसंत ११ खीणमोहा १२ सजोगिकवलिजिणो १३ | अजोगी १४ य । चोद्दस जीवसमासा कमेण एएऽणुगंतव्वा ॥९॥ । दुविहा होंति अजोगी सभवा अभवा निरुद्धजोगी य । इह सभवा अभवा उण सिद्धा जे सव्वभवमुक्का ॥१०॥निरयगई तिरि 81 मणुया देवगई चेव होइ सिद्धिगई । नेरइया उण नेया सत्तविहा पुढविभेएण ॥ ११ ॥ घम्मा वंसा सेला होइ तहा अंजणा य रिट्ठा SAHARASREXAKCEAES For Private and Personal Use Only
SR No.020535
Book TitlePanchashak Mulam
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1928
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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