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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॐI उपदेशमाला उपदंश तपः,विनय मालाया मूरिः पुरुषत्व नमिऊण जिणवरिंदे, इंदनरिंदच्चिए तिलोअगुरू । उवएसमालमिणमो, बुच्छामि गुरुवएसेण ॥१॥ जगचूडामणिभूओ, उसमो ॥२०६॥ वेषः मदः वीरो तिलोअसिरितिलओ । एगो लोगाइच्चो, एगो चक्खू तिहुअणस्स ॥ २॥ संवच्छरमुसभजिणो, छम्मासा वद्धमाणीजणचंदो। इअ विहरिआ निरसणा, जइज्ज एओवमाणेणं ॥ ३ ॥ जइ ता तिलोअनाहो, विसहइ बहुआई असरिसजणस्स । इअ जीअंतकराई, एस खमा सव्वसाहणं ॥ ४ ॥ न चइज्जइ चालेउं, महइमहावद्धमाणीजणचंदो । उवसग्गसहस्सेहिवि, मेरू जह वायगुंजाहिं ॥५॥ भद्दो विणीअविणओ, पढमगणहरो समत्तसुअनाणी । जाणतोऽवि तमत्थं, दिम्हिअहिअओ सुणइ सव्यं ।। ६ ॥ जं आणवेइ राया, पगईओ तं सिरेण इच्छंति । इअ गुरुजणमुहमणिअं, कयंजलि उडेहिं सोअव्वं ॥७॥ जह सुरगणाण इंदो, गहगणतारागणाण जह चंदा । जह य पयाण नरिंदा, गणस्सवि गुरू तहाणंदो।। ८ ।। बालुत्ति महीपालो, न पया परिभवइ एम गुरु उवमा । जंवा पुर ओ काउं, विहरंति मुणी तहा सोवि ॥ ९ ॥ पडिरूवो तेयस्सी, जुगप्पहाणागमो महुरवको । गंभीरो धीमंतो, उवएसपरो अ आय-| रिओ ॥ १० ॥ अपरिस्सावी सोमो, संगहसीलो अभिग्गहमई य । अविकत्थगो अचवलो, पसंतहियओ गुरू होइ ॥ ११ ॥ कइदियावि जिणवरिंदा, पत्ता अयरामरं पहं दाउं । आयरिएहिं पवयणं, धारिज्जइ संपर्य सयलं ॥ १२ ॥ अणुगम्मए भगवई, रायसुअ-18 ज्जासहस्सविंदेहिं । तहवि न करेइ माणं, परियच्छइ तं तहा नूणं ॥१३।। दिणदिक्खिअस्स दमगस्स, अभिमुहा अज्जचंदणा अज्जा । ॥२०६।। R ECRPRECA For Private and Personal Use Only
SR No.020535
Book TitlePanchashak Mulam
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1928
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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