SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 122
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailassagersuri Gyanmandir प्रथन - - धर्म तओ भिक्खुत्ति निदरिसिओ समए ॥ १००० ॥ अह उस्सग्गेणेसो धृतगुणासेवणेकतण्णिट्ठो । अववादेण उला संग्रहणी IPI आरंभनिट्ठियं चेव सेवंतो ॥ १००१ ॥ चरणपरिणामचीयं जं न विणासंह कज्जमाणंपि । तमणुट्ठाणं सम्म अववादपदंश सदोषता मुणेतव्वं ॥ १००२ ॥ जे पुण नासेइ तयं न तय दिट्ठमिह सत्थगारेहिं । तब्भावेऽवि गिहीहिं अइप्पसंगो धुवो होइ ॥ १००३ ॥ गामादिपरिग्गहओ तब्बावारो तओ य चित्तस्स । नियमेण परिकिलेसो तओ य चरणस्स नासो उ ॥ १००४ ।। इस अववादपदेणऽवि नरिंदलील विलंबमाणाण । मग्गचुयाणं विदुसे पडुच्च भिक्खुत्तणमजुत्तं ॥ १००५ ॥ छन्नउइगामकोडीवइणो भरहस्स सुद्धभावस्स । चरणपरिणामओ मे केवलनाणं समुप्पन्न ॥ १००६ ॥ चरणपरिणामबीयं गामादिपरिग्गहो ण णासेइ । इय दोण्हवि अम्हाण सिद्धमिणं किन्न लक्खेसि ? ॥ १००७ ।। भरहस्स तत्थ मुच्छाविगमे णणु आसि चरणपरिणामो । ण य तम्मि तेण तहियं काचि पवित्ती कया आसि ।। १००८ ॥ण य इय मुच्छाविगमो तुम्हाणं तत्थ तहपवित्तीओ। | पत्तेयबुद्धणातं एवमजुत्तं मुणेयव्वं ।। १००९ ॥ सिय विहियाणुट्ठाणं एयं अम्हाण ता ण दोसो उ । सत्थं एत्थ पमाणं, जहेब चितिवंदणादीसु ॥ १०१०॥ असुहपरिणामबीजं जमणट्ठाण विहेइ तं किह णु । सस्थंति ? अतो एसो पक्खेवो होइ नायब्वो ॥१०११॥ णियमेण य अहो च्चिय परिणामो तम्मि सइ मुणेयव्यो। किं दाहगोवि अग्गी सनिहितं न उहई कट्ठ ? ॥ १०१२॥ ॥१२०||||सिय तस्सुवासग च्चिय करेंति पडिजग्गणं न भिक्खुत्ति | तप्फलपरिभोगोवि ह आहाकम्मति तो दह्रो । १०१३ ॥ कालपरिहा-14 णिदोसा एहहमित्ते ण चे हवति दोसो। सकपरिहारसावज्जसेवणे कहमदोसो तु ? ॥१.१५ ॥ चत्नघरावासाणं गामादिपरिग्गदि हम्मि ता दासो । रयणं मोत्तॄण जहा कायमणि गेण्हमाणाणं ॥१.१५ ।। ॥१२ For Private and Personal Use Only
SR No.020535
Book TitlePanchashak Mulam
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1928
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy