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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आवासदेसना 236 आवाससङ्ग सब्बदानं दिन्नमेव होति, म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.19; 79; - ते सप्त. वि., ए. व. - सिखायमाने आवासभूते, आवासदाने आनिसंसं सल्लक्खेत्वा इसिपतने महाविहारे सद्द. 1.249. ..., ध, प, अट्ठ. 2.170. आवासमच्छरिय नपुं., तत्पु. स. [आवासमात्सर्य], आवास आवासदेसना स्त्री., निवासस्थान के विषय में उपदेश, स. के विषय में मात्सर्य, आवास से सम्बन्धित तुच्छ एवं उ. प. के रूप में, सत्ता.- प्राणियों के आवासों के विषय स्वार्थभरी चित्तवृत्ति, पांच प्रकार के मात्सर्यों में प्रथम - यं में उपदेश, प्र. वि., ए. व. - नव सत्तावासदेसना, उदा. प्र. वि., ए. व. - आवासे मच्छरियं आवासहेतुकं वा अट्ठ. 273. मच्छरियं आवासमच्छरियं, विसुद्धि. महाटी. 2.466; - आवासपरम्परा स्त्री., तत्पु. स., शा. अ., आवासों की यानि ब. व. - पञ्च मच्छरियानि - आवासमच्छरियं, कतार, आवासों की श्रृंखला, ला. अ., प्रत्येक आवास कुलमच्छरियं, लाभमच्छरियं, वण्णमच्छरियं धम्ममच्छरियं, (विहार), एक एक आवास में, सभी भिक्षु-आवास-रं द्वि. दी. नि. 3.187; महानि. 26, 93, 165; मच्छरियानीति वि., ए. व. - आवासपरम्परञ्च, भिक्खवे, संसथ, चूळव. आवासमच्छरियं कुलमच्छरिय, लाभमच्छरियं 46; ... आवासपरम्परञ्च भिक्खवे संसथाति सब्बावासेसु धम्ममच्छरियं वण्णमच्छरियन्ति इमासु आवासादीसु आरोचेथ, चूळव, अट्ठ. 5. अजेसं साधारणभावं असहनाकारेन पवत्तानि पञ्च आवासपलिगेधी त्रि., आवास के विषय में अत्यधिक लालची मच्छरियानि, विसुद्धि. 2.321; - येन तृ. वि., ए. व. - या लोभी -धी पु., प्र. वि., ए. व. - पञ्चहि धम्मेहि आवासमच्छरियेन पनेत्थ यक्खो वा पेतो वा हत्वा, दी. नि. समन्नागतो आवासिको ... न आवासमच्छरी होति न अट्ठ. 2.279; अपिच आवासमच्छरियेन लोहगेहे पच्चति, आवासपलिगेधी, अ. नि. 2(1).245; सत्तमे दी. नि. अट्ठ. 2.279; - स्स ष, वि., ए. व. - आवासपलिगेधीति आवासं बलवगिद्धिवसेन गिलित्वा विय आवासमच्छरियस्स पहानाय समच्छेदाय ब्रह्मचरियं वस्सति, ठितो, अ. नि. अट्ठ. 3.85. अ. नि. 2(1).254. आवासपलिबोध पु., तत्पु. स., बाधा के रूप में आवास, आवासमच्छरी त्रि., आवास के विषय में कृपणवृत्ति अथवा कठिनचीवर के सन्दर्भ में आवास से सम्बन्धित बाधा, मात्सर्य-भरी मनोवृत्ति रखने वाला, आवास के प्रति लालची सोलह प्रकार के पळिबोधों में से एक, आवास-विषयिणी अथवा "आवास में केवल मैं रहूं, दूसरे न रहें', इस प्रकार बाधा -धो प्र. वि., ए. व. - आवासोयेव आवासपलिबोधो, की स्वार्थ-भरी प्रवृत्ति वाला - री पु., प्र. वि., ए. व. - विसृद्धि. 1.89; द्वे कथिनस्स पलिबोधा?... आवासपलिबोधो न आवासमच्छरी होति, न कुलमच्छरी होति, अ. नि. च चीवरपलिबोधो च, महाव. 352; परि. 239; चीवरपलिबोधो 2(1).238; - रिनी स्त्री., प्र. वि., ए. व. - न पठमं छिज्जति, तस्स सह वहिसीमगमना, आवासपलिबोधो आवासमच्छरिनी होति, अ. नि. 2(1).130; पञ्चमे छिज्जति, परि. 334; पठमं चीवरपलिबोधो छिज्जति, पच्छा आवासमच्छरिनीति आवासं मच्छारायति, तत्थ असं वासं आवासपलिबोधो, महाव. अट्ठ. 370; स. उ. प. के रूप में, न सहति, अ. नि. अट्ठ. 3.46. घरा. - पु., घर में बसने की बाधा, गृहस्थ जीवन की आवासलोभ पु., तत्पु. स. [आवासलोभ], निवासस्थान के बाधा या रुकावट - धं द्वि. वि., ए. व. - सब्बं प्रति लोभ - भेन तृ. वि., ए. व. - मया सीलवन्तो घरावासपलिबोधं छिन्दित्वा ... पब्बजासङ्घातेन एकच्चरियं कल्याणधम्मा भिक्खू आवासलोभेन परिभिन्ना, पे. व. अट्ठ, दळ्हं करेय्य?, महानि. 114. 12. आवासपाळि स्त्री., तत्पु. स. [आवासपालि], आवासों की आवासवत्त नपुं., विहार (आवास) में नियमित निवास करने पंक्ति, निवासस्थानों की कतार, बहुत सारे भिक्षुआवास या वाले भिक्षुओं द्वारा पालनीय नियम - त्तं द्वि. वि., ए. व. विहार, प्र. वि., ए. व. - आवासपालि ब्याधानं तदा आसि - आवासवत्तमावासी, अकरोन्तोव दोसवा, उत्त. वि. 555. निवेसिता, म. वं. 10.95. आवाससङ्ग पु., तत्पु. स., आवासविषयक आसक्ति, स्थायी आवासभूत त्रि., आवास अथवा निवासस्थान बन चुका, बसा आवास के साथ मन का लगाव - नेन तृ. वि., ए. व. - दिया गया, आबाद कर दिया गया - तं नपुं.. प्र. वि., ए. निबद्धवासो च आवाससङ्गेन होति, सो च दुक्खो, सु. नि. व. - तेसं पुञ्जकम्मिनं आवासभूतन्ति अत्थो, बु. वं. अट्ठ. अट्ठ. 1.28. For Private and Personal Use Only
SR No.020529
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2009
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size10 MB
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