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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आरोचिक 194 आरोचेति सन्निपतितभावं आरोचापेय्यान्ति, दी. नि. अट्ठ. 1.250; - सि अद्य., प्र. पु., ए. व. - भगवतो कालं आरोचापेसि, महाव. 43; 289; - सुंब. व. - भगवतो कालं आरोचापेसं. दी. नि. 2.69; - त्वा पू. का. कृ. - उभिन्नम्पि वत्थु आरोचापेत्वा उभिन्नम्पि पटिञा सोतब्बा, परि. 414; - तब्बं सं. कृ., नपुं., प्र. वि., ए. व. - सचे उभो अत्थपच्चत्थिका आगच्छन्ति, उभिन्नम्पि वत्थु आरोचापेतब्ब परि. 414. आरोचिक त्रि., आ + रुच से व्यू., आरोचक के स्थान पर यत्र तत्र प्रयुक्त [आरोचिक], सूचित करने वाला, घोषणा करने वाला, बतलाने वाला - का स्त्री, प्र. वि., ब. व. - उपोसथारोचिका देवता तत्थ तत्थ गन्त्वा आरोचेन्ति, पारा. अट्ठ. 1.141. आरोचित त्रि., आ + रुच के प्रेर, का भू. क. कृ. [बौ. सं. आरोचित], उद्घोषित, सूचित, कहा हुआ, बतलाया हुआ - तो पु., प्र. वि., ए. व. - सचे आरामे कालो आरोचितो होति, चूळव. 356; महाथेरेहि आरोचितो भिक्खसको, अ. नि. अठ्ठ 3.261; - ते पु., सप्त. वि., ए. व. - आरोचितेयेव काले अगमासीति वेदितब्बो, पारा. अट्ट. 1.162; - ताय स्त्री., सप्त. वि., ए. व. - आरोचिताय चित्तप्पवत्तिया वत्तब्बो, पारा. अट्ठ. 1.186; - तं नपुं., प्र. वि., ए. व. - वत्थु वा आरोचितं होति अविनिच्छितं, पाचि. 204; चोदकेन च चुदितकेन च अत्तनो कथा कथिता, अनुविज्जको सम्मतो, एत्तावतापि वत्थुमेव आरोचितं होति, पाचि. अट्ठ. 137; ... यत्थ कथचि आरोचितं उद्देसभत्तं तस्मियेव भत्तुद्देसट्टाने गाहेतब्बं चूळव. अट्ठ. 88; - तेन नपुं., तृ. वि, ए. व. - किं आवुसो आरोचितेन, स. नि. अट्ठ. 1.190; - ते नपुं.. सप्त. वि., ए. व. - ... तेन तस्मिं कारणे आरोचिते ..., जा. अट्ठ. 4.385; - कथा स्त्री., कर्म स.. कही हुई कथा, पहले कहा जा चुका वचन - थं द्वि. वि., ए. व. - आरोचितकथं सुत्वा, उभिन्नम्पि यथा तथा, विन. वि. 2018; - काल पु., कर्म. स., बतलाया हुआ काल, निर्धारित किया हुआ समय – तो प.. वि., ए. व. - आरोचितकालतो पट्ठाय च एक भिक्खु ठपेत्वा सेसेहि सति करणीये गन्तुम्पि वट्टति, चूळव. अट्ठ. 17; 31; - क्ख ण पु., कर्म. स., बतलाया हुआ क्षण - णे सप्त. वि., ए. व. - अयं पन आरोचितक्खणेयेव पाराजिक आपज्जति, पारा. अट्ठ. 2.73; - दिवस पु.. कर्म. स., निर्धारित दिन, पहले से बतलाया हुआ दिन - तो प. वि., ए. व. - आरोचितदिवसतो पट्ठाय चूळव. अट्ठ. 25; - नियाम पु., कर्म. स., बतलाया हुआ तरीका या विधान, बतलाई हुई पद्धति, बतलाया हुआ मार्ग अथवा उपाय - मेन तृ. वि., ए. व. - ते मुखं विक्खालेत्वा रुओ आरोचितनियामेनेव आरोचेसुं, अ. नि. अट्ठ. 1.241; - भाव पु., कर्म. स., सूचित किया हुआ भाव, मनोगत भाव -वं द्वि. वि., ए. व. - सेवको रओ आरोचितभावं ञत्वा, जा. अट्ठ. 2.174; - सञा स्त्री., कर्म. स., पूर्व में प्रकाशित संज्ञा या समझ - य तृ. वि., ए. व. - तुम्हेहि आरोचितसआय नियामको भविस्सामी ति, जा. अट्ट. 4.126. आरोचेति'/आरोचयति आ + रुच का प्रेर, वर्त, प्र. पु., ए. व., प्रायः आरोचेति रूप में ही प्राप्त [बौ. सं., आरोचयति], शा.अ., प्रकाशित करा देता है, प्रकट करा देता है, साफ साफ दिखलवा देता है, ला. अ., स्पष्ट रूप से कह देता है, वर्णन या बखान कर देता है, उद्घोषित करता है, सूचित कर देता है - आरोचेति आरोचयती ति रूपानि दिस्सन्ति, सद्द. 2478; पारिसद्धिहारको चे, ... सुत्तो न आरोचेति, पमत्तो न आरोचेति, समापन्नो न आरोचेति, महाव. 151; .... अओ भिक्खु भिक्खुस्स आरोचेति ... अज्झापन्नोति, चूळव. 402; आरोचेतीति बुद्धरक्खितो धम्मरक्खितस्स, धम्मरक्खितो सङ्घरक्खितस्स 'अम्हाकं आचरियो एवं वदति, पारा. अट्ठ. 1.296; - चेमि/चयामि उ. पु., ए. व. – “यं खो मे, ... सम्मुखा पटिग्गहितं, आरोचेमि तं भगवतो ति, दी. नि. 2.162; आरोचयामि वो, मो. व्या. 2.27; आरोचयामि खो ते, सनक्खत्त, दी. नि. 3.4; - न्ति प्र. पु., ब. व. - थेरा भिक्खू परचित्तविदुनो भिक्खूनं आरोचेन्ति ... जानातीति, चूळव. 398; - स्सथ म. पु., ब. व. - कथम्हि नाम तुम्हे, मोघपुरिसा, भिक्खुस्स ... आरोचेस्सथ, पाचि. 47; - म उ. पु., ब. व. - आगमेन्तु ताव भवन्तो निरयपाला, याव मयं पायासिस्स राजञस्स गन्वा आरोचेम, दी. नि. 2.241; - न्तो वर्त. कृ., पु., प्र. वि., ए. व. - अनुपसम्पन्नस्स उत्तरिमनुस्सधम्मं भूतं आरोचेन्तो, परि. 63; पुरिसस्स हि मत्तिं इत्थिया आरोचेन्तो जायत्तने आरोचेति, इत्थिया मति पुरिसस्स आरोचेन्तो जारत्तने आरोचेति, पारा. अट्ठ. 2.127; - न्तेन पु., तृ. वि., ए. व. - यस्मा पनेतं आरोचेन्तेन त्वं किरस्स जाया भविस्ससी ति आदि वत्तब्ध होति, पारा. अट्ठ 2.127; - न्तस्स/चयतो वर्त. कृ., पु., ष. वि., ए. व. - अनुपसम्पन्नस्स उत्तरिमनुस्सधम्मं भूतं आरोचेन्तस्स For Private and Personal Use Only
SR No.020529
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2009
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size10 MB
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