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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra आभिसेकिक अभिसमाचारोति उत्तमसमाचारो अभिसमाचारो अभिसमाचारं वा आरम्भ पञ्ञत्ता आभिसमाचारिक सिक्खा, www.kobatirth.org - - 131 विनया. टी. 1.219; ... आभिसमाचारिकं आचिक्खिसु, ध. प. अट्ठ 2.255; आजीवट्टमकतो अवसेससीलस्सेतं अधिवचनं विसुद्धि. 1.12; - आदिब्रह्मचरियक नपुं० आभिसमाचारिक एवं आदिब्रह्मचर्य नामक दो प्रकार के शील- प्रभेद वसेन तृ. वि., ए. व. - तथा आभिसमाचारिक आदिब्रह्मचरियकवसेन.... विसुद्धि० 1.11; वत्त नपुं तत्पु० स० [ बौ. सं. आभिसमाचारिकव्रत], आभिसमाचारिक वर्ग के शीलों के पालन का व्रत सप्त. वि., ए. व. - • आभिसमाचारिकवत्ते पन परिपूरे सीलं परिपूरति, पारा. अ. 2.19 - सिक्खा स्त्री. कर्म. स., शिक्षा के रूप में ग्रहण करने योग्य आभिसमाचारिक शील, अभिसमाचार - शीलों अथवा उत्तम आचरण से सम्बद्ध शिक्षा अभि विसिद्धो उत्तमो समाचारो अभिसमाचारो अभिसमाचारोव आभिसमाचारिकोति च सिक्खितब्बतो सिक्खाति च आभिसमाचारिकसिक्खा अभिसमाचारं वा आरम्भ पञ्ञत्ता सिक्खा अभिसमाचारसिक्खा, विनया. टी. 1.219; सील नपुं०, सम्यक् कर्मान्त, सम्यक् वाक् एवं सम्यक्आजीव, इनके अन्तर्गत निर्दिष्ट आठ प्रकार के आदिब्रह्मचरियक शीलों के अतिरिक्त क्षुद्रक-अनुक्षुद्रक अन्य शील, परिपालनीय व्रतों के रूप में महावग्ग एवं चूळवग्ग में प्रज्ञप्त शील यानि वा सिक्खापदानि खुद्दानुखुद्दकानीति वृत्तानि, इदं आभिसमाचारिकसीललं .... खन्धक वत्तपरियापन्नं आभिसमाचारिक विसुद्धि० 1.12; यम्पिदं चेतियङ्गणवत्तं .... द्वे असीति खन्धकवत्तानि चुद्दसविधं महावत्तन्ति इमेसं वसेन आभिसमाचारिकसीलं वृच्चति, पारा. अट्ठ. 2.19. आभिसेकिक/आभिसेकिय त्रि, अभिसेक से व्यु., सं. कृ. [ आभिषेक ], स्नान करने के स्थान पर, अथवा राजाओं के राज्याभिषेक की क्रिया के लिए निर्धारित स्थान पर छोड़ दिए गए (चीवर), स्नान अथवा राज्याभिषेक के अवसर पर प्रयुक्त, पांच, दस अथवा तेईस प्रकार के पंसुकूलों की सूची में परिगणित एक पंसुकूल कं नपुं. प्र. वि., ए. व. - अपरानिपि पञ्च पंसुकूलानि गोखायिक आभिसेकिक, गतपटियागतं, परि. 253; आभिसेकिकन्ति नहानद्वाने वा ज्ञो अभिसेकट्टाने वा छड्डितचीवर, परि० अड 173; दस पंसुकूलानीति सोसानिक, पापणिक, उन्दूरक्खायितं, उपचिकक्खायितं, अग्गिदड, गोखायित, आभुजति अजिकक्खायितं, थूपचीवरं, आभिसेकियं, भतपटियाभतन्ति एतेसु उपसम्पन्नेन उस्सुक्कं कातब्बं परि० अट्ठ 183; पंसुकूलन्ति सोसानिक, पापणिक, रथियं, सङ्कारकूटक, सोत्थिय, सिनानं, तित्थं गतपच्चागतं, अग्गिदङ्कं गोखायितं उपचिकखायितं, उन्दूरखायितं, अन्तच्छिन्नं, दसाच्छिन्नं, धजाहट, थूपं समणचीवर, सामुद्दिय, आभिसेकिय, पन्थिक, वाताहट, इद्धिमयं देवदत्तियन्ति तेवीसति पंसुकूलानि वेदितब्बानि, दी. नि. अट्ठ. 3.174. आभुज पु०, आ + √भुज से व्यु० क्रि० ना०, प्रायः "पल्लङ्क" के साथ प्रयुक्त, मोड़ने की क्रिया, दबक, झुकाव, मोड़ - जे सप्त. वि., ए. व. – या पुब्बे बोधिसत्तानं, पल्लङ्कवरमाभुजे, निमित्तानि पदिस्सन्ति, बु. वं. 2.82 पल्लङ्कवरमाभुजेति वरपल्लङ्काभुजने, बु. वं. अड. 114. आभुति / आभुञ्जति आ + √भुज का वर्त० प्र० पु०, ए. व., 1. प्रायः "पल्लङ्कं" के साथ प्रयुक्त, मोड़ता है, झुकाता है, पालथी लगा लेता है, पालथी लगा कर बैठ जाता है • भिक्खु पल्लङ्कं आभुजति, सद्द. 2.348; - जिं अद्य., उ. पीतिया च अभिस्सन्नो, पल्लङ्कं आभुजिं तदा, पु. ए. व. - बु. वं. 2.78; आभुजिन्ति कतपल्लङ्को हुत्वा पुप्फरासिम्हि निसीदिन्ति अत्थो, बु. वं. अट्ठ. 114: - जुं अद्य., प्र० पु०, ब. व. - सम्पजाना समुद्वाय, सयने पल्लङ्कमाभुजु, अप. 1.3; - जित्वा / जित्वान / ञ्जित्वा / ज्जित्वा / ज्ज / ज्य / ञ्जय पू० का. कृ. पालथी लगाकर, पर्यङ्कासन में बैठकर - आभुजित्वाति आबन्धित्वा, पारा. अट्ठ. 2.12; पल्लङ्क आभुजित्वान निसीदि पुरिसुत्तमो, अप. 1.17; पल्लई आभुजित्वा उजुं कायं पणिधाय परिमुखं सतिं उपट्टपेत्वा महाव. 29; अथस्स निसज्जाय दळहभाव अस्सासपस्सासानं पवत्तनसुखतं आरम्मणपरिग्गहूपायञ्च दस्सेन्तो पल्लङ्कं आभुजित्वा ति आदिमाह, पारा. अट्ठ. 2.12; एकं पादं आभुजित्वा कतपल्लङ्क चूळव. अट्ठ. 132; 2. पीछे की ओर जाता है, घटता है, वापस पलटता है महासमुद्दो आभुजति, जा. अट्ठ 1.23; 3. मरोड़ देता है, सिकोड़ देता है, समेट लेता है, उलट-पलट देता है, तोड़मरोड़ देता है - चित्तं परिकुपितं कायं आभुजति निष्भुजति सम्परिक्त्तकं करोति, मि. प. 237 - जित्वा पू. का. कृ. कण्हसप्प ....भोगं आभुजित्वा सत्तुं खादन्तो निपज्जि, जा० अ. 3.303, 4. चित्त को तीब्रता से एकाग्र करता है, मनन- चिन्तन करता है, मन में ले आता है, अनुचिन्तन करता है विधातु तत्थ तत्थ **** For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -
SR No.020529
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2009
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size10 MB
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